India Languages, asked by rujith9462, 10 months ago

निम्नलिखित में से किसी एक श्लोक की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए।

(अ) उद्गलितदर्भकवला गृग्य: परित्यक्तनर्तना मयूराः।।
अपसृतपाण्डुपत्रा मुञ्चन्त्यभूरणीव लताः।।
अथवा
(आ) अस्मान् साधु विचिन्त्य संयमधनानुच्चैः कुलं चात्मन स्त्य्यस्याः
कथगप्यबान्धवकृत रनेहप्रवृतिं च ताग् ।
सामान्यप्रतिपत्तिपूर्वकमियं दारेषु दृश्या त्वया भाग्यायत्तमतः परं न खलु तद् वाच्यं वधुबन्धुभिः।।

Answers

Answered by mohishkhan9996
0

Answer:

hey.... mate

(आ) असाधु साधु संयम में प्रसन्न होते हैं: कुल जप।

मजबूत बातचीत-चालित प्रवृत्तियाँ।

आम तौर पर, मुझे दार्शू दृश्य पसंद नहीं है, लेकिन वास्तव में दुल्हन को नहीं पढ़ा।

plzz mark as brainlist....XD

Answered by coolthakursaini36
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(अ) उद्गलितदर्भकवला गृग्य: परित्यक्तनर्तना मयूराः।।

अपसृतपाण्डुपत्रा मुञ्चन्त्यभूरणीव लताः।।

प्रसंग-> प्रस्तुत श्लोक महाकवि कालिदास द्वारा विरचित अभिज्ञानशाकुंतलम् नामक नाटक से लिया गया है। प्रस्तुत श्लोक में शकुंतला की विदाई के समय उसकी सखी प्रियंवदा शकुंतला के विदा होने पर उत्पन्न दुख का वर्णन करती है।

व्याख्या-> शकुंतला की विदाई के समय प्रियंवदा कहती है कि तपोवन के हर प्राणी, क्या मनुष्य, क्या तपोवन के पशु-पक्षी, सभी का हृदय इस विदाई से पीड़ित है। हिरणों ने भी कुश के ग्रास उगल दिए हैं और मोरों ने नाचना छोड़ दिया है तथा लताएं पीले पत्तों को गिराकर मानो अपने आंसू बाह रही हों।

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