Hindi, asked by devsahu6442, 11 months ago

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए --
(क) लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए क्या - क्या योजनाएं बनाता था, उसे पूरा न कर पाने की स्थिति में किसकी भांति 'बहादुर' बनने की कल्पना करता था ?
(ख) ठाकुरबारी की गतिविधियों के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए I

Answers

Answered by prakharjain71
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Explanation:

छुट्टियों के समय लेखक को स्कूल से जो काम मिलता था उसके

लिए वो एक समय सारणी तैयार करते थे। लेकिन छुट्टियां शुरू

होते ही लेखक का सारा समय तालाब में नहाने और दोस्तों के

साथ खेल कूद में निकल जाता फिर जैसे-जैसे छुट्टियां बीतने

लगती उनका डर बढ़ने लगता। वे अपनी सभी मस्ती भूलकर

मास्टरजी द्वारा दिए गए काम का हिसाब लगाने लगते। जैसे

मास्टर जी दो सौ से कम सवाल कभी ना बताते। लेखक मन में

हिसाब बैठाता कि अगर दस सवाल रोज निकाले जाएँ तो बीस

दिन में काम पूरा हो जाएगा। जब ये मन बनता तो फिर खेल

कूद शुरू हो जाता और दस दिन यूँ ही निकल जाते। इसके बाद

एक दिन में पंद्रह सवाल करने का हिसाब बनने लगता लेकिन

जब यह हिसाब बनता तो दिन छोटे होने लगते और पिटाई का

डर बढ़ने लगता। वहीं लेखक के ऐसे बहुत से साथी थे जो काम

पूरा करने की जगह मास्टर की पिटाई खाना ज्यादा सस्ता सौदा

समझते थे। हालांकि लेखक पिटाई से बहुत डरते थे लेकिन फिर

वो भी उन बहादुरों की तरह की सोचने लगते और उस समय

उनका बड़ा नेता 'ओम' हुआ करता जिसकी भांति वह बहादुर

बनने का सोचने लगते।

Answered by shishir303
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(क)

‘सपनों के से दिन’ पाठ में लेखक अपने स्कूली जीवन में जब छुट्टियों में मिले काम को समय पर पूरा नही कर पाता। उसके शुरू के दिन तो खेलकूद में ही बीत जाते। जब केवल एक महीना बाकी रह जाता था तो लेखक को होमवर्क करने का होशा आता और वह सारा काम फटाफट करने की योजना बनाने लगता। वो योजना बनाता कि यदि दस सवाल एक दिन में हल किए जाएं तो इस तरह भी बीस दिन में ही सारा कार्य निपट जाएगा या प्रतिदिन 15 सवाल हल किए जाएं। इस तरह लेखक कौन सा कार्य किस समय में किया जाए और कितने दिन में किया जाए इस तरह की योजनाएं बनाता। लेकिन लेखक की ये सारी योजनायें हवाई किले साबित होतीं। और उसकी सारी की सारी योजनाएं धरी की धरी रह जातीं, क्योंकि पूरा दिन योजनाएं बनाते-बनाते और खेलकूद करते-करते ही निकल जाता दिन बीच जाने का पता ही नहीं चलता।

लेखक अपना होमवर्क पूरा न कर पाने स्थिति में लेखक को अपने साथी ओमा की तरह बहादुर बनने का विचार आता। ओमा उन लोगों का सहपाठी था, जो अपना होमवर्क समय पर पूरा नही कर पात था। लेकिन उसे पिटाई से जरा भी डर नहीं लगता था और वो होमवर्क पूरा ना कर पाने की तुलना में पिटाई खाने को एक सस्ता सौदा समझता था। वह अध्यापकों की मार आसानी से झेल लेता था। लेखक भी ओमा की तरह बनने की कल्पना करता।

(ख)

‘हरिहर काका’ ठाकुरबारी की गतिविधियां बहुत अच्छी नही थी। ठाकुरबारी के महंत और उसके कर्मचारियों के लिए ठाकुरबारी ईश्वर सेवा का स्थान नहीं बल्कि उनके पेट भरने का जरिया था। वह लोग अंधविश्वासी गांव वालों की आस्था का फायदा उठाकर ऐश कर रहे थे। गाँव वालों की कोई मन्नत पूरी होने पर गाँव वाले अपनी जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा ठाकुर वाली के नाम कर देते देते। ठाकुरबारी की संपत्ति में निरंतर इजाफा हो रहा था। उसके बावजूद ठाकुरबारी के महंत और उसके साथियों की बुरी नजर हरिहर काका के खेतों पर थी। वह  हरिहर काका के खेतों हड़पना चाहता था। वह चाहता था कि हरिहर काका स्वेच्छा से अपने खेत ठाकुरबारी के नाम कर दें, क्योंकि हरिहर काका के कोई संतान नहीं है। इसलिए उसने हरिहर काका को चिकनी चुपड़ी बातों में फंसाने का प्रयत्न किया, परंतु जब हरिहर काका उसकी चिकनी चुपड़ी बातों में नहीं आए तो महंत ने बाहुबल का प्रयोग कर हरिहर काका का अपहरण करवा कर जबरदस्ती जमीन अपने नाम कराने का किया। इस तरह ठाकुरवादी ईश्वर की श्रद्धा का केंद्र होने के बावजूद और महंत जैसे लोभी और पाखंडी लोगों की गतिविधि का अड्डा बन चुका था।

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