Social Sciences, asked by PragyaTbia, 11 months ago

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
(i) भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों और वन्य जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है?
विस्तारपूर्वक विवेचना करें।
(ii) वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबन्ध लिखिए।

Answers

Answered by nikitasingh79
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उत्तर :  

(i) भारत में विभिन्न समुदायों ने निम्न प्रकार वनों और वन्य जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है :  

भारत के कुछ स्थानीय समुदायों का वनों से गहरा नाता है । ये उनके आवास भी हैं और आजीविका का साधन भी है। अतः वे अपने आवास तथा अजीविका की रक्षा के लिए वनों के लिए कड़ा संघर्ष कर रहे हैं । इस संबंध में कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं :  

  • राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में स्थानीय लोगों ने खनन गतिविधियों का विरोध किया एवं अन्य वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम का हवाला देकर खनन को रुकवाया।

  • कई प्रदेशों में ग्रामीण समुदाय स्वयं वनों के संरक्षण में जुटे हुए हैं। इस कार्य में उन्होंने सरकार का सहयोग लेने से भी इंकार कर दिया है। उदाहरण के लिए राजस्थान के अलवर जिले के 5 गांव के ग्रामीणों ने 12000 हेक्टेयर वन क्षेत्र को ‘भैरोदेव दाकव सेंचुरी’ घोषित किया हुआ है । संरक्षण के लिए उन्होंने अपने अपने नियम बनाए हुए हैं । इसके अनुसार शिकार करने पर तथा वन जीवन को किसी प्रकार की हानि पहुंचाने पर रोक है।

  • कई समुदाय कुछ विशेष वृक्षों अथवा वनों को पवित्र मानकर उनकी पूजा करते है। इन समुदायों का भी वनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान है।

(ii) वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों निबन्ध :  

हमारे देश में वन तथा वन्य जीव संरक्षण से संबंधित कई रीति रिवाज अथवा प्रथा प्रचलित हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण प्रथाओं का वर्णन इस प्रकार है :  

प्रकृति की पूजा: प्राचीन काल से ही कुछ कबीले प्रकृति के पूजा में विश्वास करते हैं। उनका मानना है कि प्रकृति की प्रत्येक रचना की रक्षा की जानी चाहिए। उनके इस विश्वास से कई वनों का संरक्षण हुआ है क्योंकि उन्हें पवित्र मान लिया गया है। उनके लिए इन वनों की कटाई अथवा इनसे किसी प्रकार के छेड़छाड़ करना वर्जित है।

विशेष वृक्ष की पूजा : कुछ समुदाय किसी एक विशेष वृक्ष पूजनीय मानकर उसकी आदिकाल से सुरक्षा करते आए हैं। उदाहरण के लिए छोटा नागपुर क्षेत्र के मुंडा तथा संथाल कबीले इमली तथा कदंब के पेड़ों की पूजा करते हैं। उड़ीसा तथा बिहार के आदिकालीन कबीले इमली तथा आम के वृक्षों को पूजनीय मानते हैं । वे विवाह के अवसर पर इनकी पूजा करते हैं। इसी प्रकार हम में से बहुत से लोग पीपल तथा वटवृक्ष को पवित्र मानते हैं।

विभिन्न संस्कृतियों का योगदान : भारतीय समाज कई संस्कृतियों का संगम है। इनमें से प्रत्येक संस्कृति के लोग अपने परंपरागत तरीकों से प्रकृति तथा उनकी रचनाओं की रक्षा करते हैं। उनके लिए झरने, पर्वत शिखर , पौधे तथा जानवर पवित्र है। अतः इनकी रक्षा की जाती है। कई मंदिरों के इर्द-गिर्द मकाक तथा लगूरों की टोलियां मंडराती रहती हैं । उन्हें मंदिर के श्रद्धालु माना जाता है और प्रतिदिन उन्हें भोजन कराया जाता है। राजस्थान के बिश्नोई गांवों में काले हिरणों, नील गायों तथा मोरों के झुंड के झुंड देखे जा सकते हैं जिन्हें कोई हानि नहीं पहुंचाता। ऐसा लगता है मानो वे ग्रामीण समुदाय का ही अभिन्न अंग हो।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।

 

Answered by MrShivang
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Answer:

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