Physics, asked by PragyaTbia, 1 year ago

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a) किसी वस्तु द्वारा नेत्र पर अंतरित कोण आवर्धक लेंस द्वारा उत्पन्न आभासी प्रतिबिंब द्वारा नेत्र पर अंतरित कोण के बराबर होता है। तब फिर किन अर्थों में कोई आवर्धक लेंस कोणीय आवर्धन प्रदान करता है?
(b) किसी आवर्धक लेंस से देखते समय प्रेक्षक अपने नेत्र को लेंस से अत्यधिक सटाकर रखता है। यदि प्रेक्षक अपने नेत्र को पीछे ले जाए तो क्या कोणीय आवर्धन परिवर्तित हो जाएगा?
(c) किसी सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता उसकी फ़ोकस दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होती है। तब हमें अधिकाधिक आवर्धन क्षमता प्राप्त करने के लिए कम से कम फ़ोकस दूरी के उत्तल लेंस का उपयोग करने से कौन रोकता है?
(d) किसी संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक लेंस तथा नेत्रिका लेंस दोनों ही की फ़ोकस दूरी कम क्यों होनी चाहिए?
(e) संयुक्त सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखते समय सर्वोत्तम दर्शन के लिए हमारे नेत्र, नेत्रिका पर स्थित न होकर उससे कुछ दूरी पर होने चाहिए। क्यों? नेत्र तथा नेत्रिका के बीच की यह अल्प दूरी कितनी होनी चाहिए?

Answers

Answered by shishir303
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उत्तर- (a)

किसी वस्तु को आवर्धक लेंस के बिना देखने से वस्तु को 25 cm की दूरी से कम दूरी पर नही रखा जा सकता है लेकिन यदि लेंस की सहायता से किसी वस्तु को देखा जाता है तो नेत्र के समीप रखा जा सकता है जिससे अन्तिम प्रतिबिंब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने। इस कोणीय आवर्धन में वृद्धि वस्तु को नेत्र के निकट रखने के कारण होती है।

उत्तर-(b)

यदि किसी आवर्धक लेंस से देखते समय प्रेक्षक अपने नेत्र को लेंस से अत्यधिक सटाकर रखता है तो और यदि प्रेक्षक अपने नेत्र को पीछे ले जाए तो कोणीय आवर्धन परिवर्तित हो जाएगा, क्य़ोंकि क्योंकि इस स्थिति में प्रतिबिंब द्वारा नेत्र पर बना दर्शन कोण उसके द्वारा लेंस पर बने दर्शन कोण से कुछ छोटा हो जाएगा।

उत्तर-(c)

पहले तो कम फोकस दूरी के लेंसों अर्थात मोटे लेंसों को बनाने की प्रक्रिया सरल नही है, दूसरी बात, लेंस में फोकस दूरी घटने से विपथन दोष बढ़ने लगता है और उनके द्वारा बने प्रतिबिंब अस्पष्ट हो जाते हैं। किसी एकल उत्तल लेंस द्वारा तीन से ज्यादा आवर्धन प्राप्त करना संभव नही है परंतु विपथन से दोष से मुक्त लेंस द्वारा 3 से ज्यादा आवर्धन यानि दस तक आवर्धन प्राप्त किया जा सकता है।

उत्तर-(d)

सूक्ष्मदर्शी के लेंस का आवर्धन  v₀/[u₀] = 1/([u₀]/f₀-1)

आवर्धन को बढ़ाने के लिये [u₀] मान f₀ से थोड़ा ज्यादा होना चाहिये। लेकिन सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग निकट की वस्तुओं के देखने के लिये किया जाता है जो कि लेंस के निकट रखी जाती हैं, इसलिये इन वस्तुओं के लिये [u₀] का मान कम होता है अतः f₀ मान भी कम रखन पड़ता है।

नेत्रिका का आवर्धन  (1+D/f₀) होता है अतः इसे बढ़ाने के लिये f₀ का मान कम रखा जाता है।

उत्तर-(e)

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में वस्तु से चलने वाला प्रकाश पहले लेंस से गुजरता फिर नेत्रिका से गुजरकर आँख तक पहुंचता है। किसी भी वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिंब देखने से ये आवश्यक है कि वस्तु से चलनेवाला अधिकतम प्रकाश आँख तक पहुंचे, इसलिये आँख के नेत्रिका से एक निश्चित कम दूरी पर रखा जाता है।  

ये दूरी कितनी होनी चाहिये, ये सूक्ष्मदर्शी यंत्र की संरचना के अनुसार उस पर लिखी होती है।

Answered by poonambhatt213
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(a ) यद्यपि प्रतिबिंब का आकार वस्तु से बड़ा है, प्रतिबिंब का कोणीय आकार वस्तु के कोणीय आकार के बराबर है। एक आवर्धक कांच एक व्यक्ति को अलग दृष्टि के कम से कम दूरी (यानी, 25 सेमी) के करीब रखी वस्तुओं को देखने में मदद करता है। एक करीब वस्तु एक बड़े कोणीय आकार का कारण बनती है।

एक आवर्धक कांच कोणीय आवर्धन प्रदान करता है। आवर्धन के बिना, वस्तु को आंख के करीब नहीं रखा जा सकता है। आवर्धन के साथ, वस्तु को आंख के बहुत करीब रखा जा सकता है।

(b) हां, कोणीय आवर्धन में परिवर्तन होता है। जब आंख और एक आवर्धक कांच के बीच की दूरी बढ़ जाती है, तो कोणीय बढ़ाई थोड़ी कम हो जाती है।

इसका कारण यह है कि आंख का सब कोण लेंस पर घटाए गए कोण से थोड़ा कम है। कोणीय आवर्धन पर प्रतिबिंब दूरी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

(c) उत्तल लेंस की फोकल लंबाई अधिक मात्रा से कम नहीं की जा सकती। ऐसा इसलिए है क्योंकि बहुत छोटे फोकल लंबाई वाले लेंस बनाना आसान नहीं है। गोलाकार और क्रोमैटिक विपथ उत्तल लेंस द्वारा निर्मित होते हैं, जिनकी लंबाई बहुत कम होती है।

(d) किसी संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की नेत्रिका द्वारा निर्मित कोणीय आवर्धन [ ( 25 / fe ) + 1 ] होता है  

जहाँ पे,

fe = नेत्रिका की फोकल लंबाई

यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अगर fe  छोटा है, तो नेत्रिका का कोणीय आवर्धन बड़ा होगा।

एक संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक लेंस के कोणीय बढ़ाई 1 / ( | Uo | fo ) के रूप में दिया जाता है

जहाँ पे,

Uo = अभिदृश्यक लेंस के लिए वस्तु दूरी

fo = अभिदृश्यक की फोकल लंबाई

आवर्धन बड़ा है जब Uo> fo । सूक्ष्मदर्शी के मामले में, वस्तु को अभिदृश्यक लेंस के करीब रखा जाता है। इसलिए, वस्तु की दूरी बहुत कम है। क्योकि Uo छोटा है,  fo और भी छोटा होगा। इसलिए, fe  और fo  दोनों दी गई स्थिति में छोटे हैं।

(e ) जब हम अपनी आँखों को किसी संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की भौं के पास रखते हैं, तो हम ज्यादा अपवर्तित प्रकाश को एकत्र करने में असमर्थ होते हैं। नतीजतन, देखने का क्षेत्र काफी हद तक कम हो जाता है। इसलिए, प्रतिबिंब की स्पष्टता धुंधली हो जाती है।

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के माध्यम से देखने के लिए आंख की सबसे अच्छी स्थिति ऐपिस से जुड़ी आंख की अंगूठी पर है। आंख का सटीक स्थान अभिदृश्यक लेंस और नेत्रिका के बीच पृथकन दुरी पर निर्भर करता है।

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