निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
nimnalikhit prashn kaa uttar deejie −
kabeer kee uddhrit saakhiyon kee bhaaṣaa kee visheṣataa spaṣṭ keejie.
साखी
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कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषता निम्न प्रकार से स्पष्ट की गई है।
- कबीर की उद्धृत साखियां उर्दू,फ़ारसी, पंजाबी, ब्रज ,अवधि व राजस्थानी भाषाओं में लिखी ।
- उनकी भाषा में सधुक्कड़ी स्वभाव दिखाई देता है।
- उनकी भाषा में संस्कृत, तदभव व देशी शब्दो का अद्भुत मेल दिखाई देता है जैसे शीतल का सीतल , वियोगी का बियोगी।
- उन्होंने अपनी साखियों में मुक्तक शैली का प्रयोग किया है।
- समाज में चेतना जगाने के लिए उन्होंने जन सामान्य में बोली जाने वाली भाषा का ही प्रयोग किया।
- उन्होंने रूपक अलंकार व अनुप्रास अलंकार का प्रयोग स्वाभाविक रूप से किया है।
- इन्हीं कारणों की वजह से हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने उन्हें " भाषा का डिक्टेटर " कहा है ।
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