निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?
nimnalikhit prashn kaa uttar deejie −
apane svabhaav ko nirmal rakhane ke lie kabeer ne kyaa upaay sujhaayaa hai?
साखी
Answers
FURTHER EXPLANATION
He Says
निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाय |बिन पानी बिन साबुन, निर्मल करे सुभाव ||
Keep your critic close, you get to know your faults if someone criticizes you, and you have a chance to correct them. Give your critics shelter in your courtyard and listen to the criticism without annoyance, because critic is not your enemy, he is helping you to clean the rubbish from your life without soap and water
अपने समीक्षक को करीब रखें, अगर कोई आप की आलोचना करता है आप अपने दोषों को जानते हैं, और आपको उन्हें सुधारने का मौका मिलता है। अपने आलोचकों को अपने आंगन में आश्रय दें और आलोचना न बोलें, क्योंकि आलोचक तुम्हारा दुश्मन नहीं है, वह आपको अपने जीवन से कचरे को साबुन और पानी के बिना साफ करने में मदद कर रहा है
Answer:
अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने बताया है कि हमें अपने आसपास निंदक रखने चाहिए ताकि वे हमें हमारी बुराइयों से अवगत करा सके और हम उन बुराइयों को अपने अंदर से दूर कर सकें। इससे हम अपने स्वभाव को बिना पानी और साबुन के स्वच्छ और निर्मल बना पाएँगें|