Hindi, asked by svmpandey94, 3 months ago

निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ सरल हिंदी में लिखिए :
मैया मैं तो चंद खिलौना लैहौं।
धौरी को-पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुथैहौं ।
उत्तर:​

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Answer:

मैया मैं तो चंद खिलौना लैहौं।

भावार्थ :-- (श्यामसुन्दर कह रहे हैं) `मैया! मैं तो यह चंद्रमा-खिलौना लूँगा (यदि तू इसे नहीं देगी तो ) अभी पृथ्वी पर लोट जाऊँगा, तेरी गोद में नहीं आऊँगा । न तो गैया का दूध पीऊँगा, न सिर में चुटिया गुँथवाऊँगा । मैं अपने नन्दबाबा का पुत्र बनूँगा, तेरा बेटा नहीं कहलाऊँगा ।

पूर्ण स्लोक

मैया मेरी,चंद्र खिलौना लैहों।। धौरी को पय पान न करिहौ उर पर,बेनी सिर न गुथैहौं। मोतिन माल न धरिहौ उर पर झुंगली कंठ न लैहौं। जैहों लोट अबहिं धरनी पर, तेरी गोद न एहौं। लाल कहै हों नंद बबा को, तेरो सुत न कहैहौं।। कान लाय कछु कहत जसोदा, दाउहिं नाहिं सुनैहौं। चंदा हूँ ते अति सुंदर तोहिं,नवल दुलहिया ब्यैहौं।। तेरी सौं मेरी सुन मैया, अबहीं ब्याहन जैहौं। 'सूरदास' सब सखा बराती, नूतन मंगल गैहौं।

उत्तर:

भावार्थ- श्रीकृष्ण चन्द्रमा को देखते कहते हैं कि मैया मैं तो चाँद खिलौना लूँगा,वर्ना में गाय का दूध नहीं पिऊँगा, चोटी नहीं गुथावाऊँगा, मोतियों की माला नहीं पहनूँगा, अभी धरती पर लोट जाऊँगा पर तुम्हारी गोद में नहीं आऊँगा, तुम्हारा और नंद बाबा का बेटा भी नहीं कहलवाऊँगा। तब माँ यशोदा कृष्ण को बहकाते हुए कहती है कि पुत्र मेरी बात सुनो पर यह बात बलराम को भी न बताना मैं तुम्हारा ब्याह चंदा से भी अति सुंदर दुल्हन से करूँगी। यह सुनकर कृष्ण अपनी माँ यशोदा से कहते मुझे तुम्हारी सौगंध है मैं अभी ब्याह करने जाऊँगा। इस पर सूर कहते हैं कि वे कृष्ण की बारात में बाराती बनकर मंगल गीत गाएँगे

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मैया मैं तो चंद खिलौना लैहौं।

भावार्थ :-- (श्यामसुन्दर कह रहे हैं) मैया! मैं तो यह चंद्रमा-खिलौना लूँगा (यदि तू इसे नहीं देगी तो) अभी पृथ्वी पर लोट जाऊँगा, तेरी गोद में नहीं आऊँगा । न तो गैया का दूध पीऊँगा, न सिर में चुटिया गुँथवाऊँगा । मैं अपने नन्दबाबा का पुत्र बनूँगा, तेरा बेटा नहीं कहलाऊँगा ।

पूर्ण स्लोक

मैया मेरी,चंद्र खिलौना लैहों।। धौरी को पय पान न करिहौ उर पर,बेनी सिर न गुथैहौं। मोतिन माल न धरिहौ उर पर झुंगली कंठ न लैहौं। जैहों लोट अबहिं धरनी पर, तेरी गोद न एहौं। लाल कहै हों नंद बबा को, तेरो सुत न कहैहौं।। कान लाय कछु कहत जसोदा, दाउहिं नाहिं सुनैहौं। चंदा हूँ ते अति सुंदर तोहिं,नवल दुलहिया ब्यैहौं।। तेरी सौं मेरी सुन मैया, अबहीं ब्याहन जैहौं। 'सूरदास' सब सखा बराती, नूतन मंगल गैहौं।

उत्तर:

भावार्थ- श्रीकृष्ण चन्द्रमा को देखते कहते हैं कि मैया मैं तो चाँद खिलौना लँगा,वर्ना में गाय का दूध नहीं पिऊँगा, चोटी नहीं गुथावाऊँगा, मोतियों की माला नहीं पहनूँगा, अभी धरती पर लोट जाऊँगा पर तुम्हारी गोद में नहीं आऊँगा, तुम्हारा और नंद बाबा का बेटा भी नहीं कहलवाऊँगा। तब माँ यशोदा कृष्ण को बहकाते हुए कहती है कि पुत्र मेरी बात सुनो पर यह बात बलराम को भी न बताना मैं तुम्हारा ब्याह चंदा से भी अति सुंदर दुल्हन से करूँगी। यह सुनकर कृष्ण अपनी माँ यशोदा से कहते मुझे तुम्हारी सौगंध है मैं अभी ब्याह करने जाऊँगा। इस पर सूर कहते हैं कि वे कृष्ण की बारात में बाराती बनकर मंगल गीत गाएँगे !

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