निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
निर्भय स्वागत करो मृत्यु का,
मृत्यु एक है विश्राम-स्थल ।
जीव जहाँ से फिर चलता है,
धारण कर नव जीवन-स्थल ।।
मृत्यु एक सरिता है, जिसमें,
श्रम से कातर जीव नहाकर ।
फिर नूतन धारण करता है,
काया-रूपी वस्त्र बहाकर ।।
Answers
कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
प्रसंग: कवि ने प्रस्तुत पंक्तियों में मृत्यु में भयभीत न होने की प्रेरणा दी है|
व्याख्या: हे भारत के वीरों , तुम निर्भय होकर मृत्यु का स्वागत करो और मृत्यु से कभी मत डरो , क्योंकि मृत्यु वह स्थान है, जहाँ मनुष्य अपने जीवन भर की थकावट को दूर कर विश्राम प्राप्त करता है, अत: मानव को उससे भयभीत नहीं होना चाहिए| मृत्यु वह स्थान है ,जहाँ मनुष्य पुराने शरीर को त्यागकर नया शरीर धारण करता है और फिर से नए जीवन की शुरुआत करता है|
कवि कहता है की मृत्यु एक नदी है , जिस में नहाकर मनुष्य जीवन भर की थकान को दूर करता है | मृत्युरूपी नदी में अपने शरीररूपी पुराने वस्त्र को भा देता है और फिर से ने जीवनरूपी वस्त्र को धारण करता है|
हमें बिना डर और उल्लास के साथ मृत्यु का स्वागत करना चाहिए | एक ना दिन तो सब ने मरना है , इसलिए डरना नहीं चाहिए|