निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए और काव्यगत सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए–
चौंक उठी अपने विचार से
कुछ दूरागत ध्वनि सुनती,
इस निस्तब्ध निशा में कोई
चली आ रही है कहती–
"अरे बता दो मुझे दया कर
उसी बावले से मिलने को
डाल रही हूँ मैं फेरा ।
रूठ गया था अपनेपन से
अपना सकी न उसको मैं,
वह तो मेरा अपना ही था
भला मनाती किसको मैं !
यही भूल अब शूल सदृश हो
साल रही उर में मेरे,
कैसे पाऊँगी उसको मैं
कोई आकर कह दे रे !"
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गुरुजनों का आदर करना चाहिए ।
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