Hindi, asked by Stevenongkhlaw8221, 10 months ago

निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए और काव्यगत सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए–
चौंक उठी अपने विचार से
कुछ दूरागत ध्वनि सुनती,
इस निस्तब्ध निशा में कोई
चली आ रही है कहती–
"अरे बता दो मुझे दया कर
उसी बावले से मिलने को
डाल रही हूँ मैं फेरा ।
रूठ गया था अपनेपन से
अपना सकी न उसको मैं,
वह तो मेरा अपना ही था
भला मनाती किसको मैं !
यही भूल अब शूल सदृश हो
साल रही उर में मेरे,
कैसे पाऊँगी उसको मैं
कोई आकर कह दे रे !"

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Answered by padam3383
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Answer:

गुरुजनों का आदर करना चाहिए ।

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