निम्नलिखित संस्कृत-गद्यांस का संदर्भ सहित हीन्दी में अनुवाद कीजिए—
अस्माकं संस्कृतिः सदा गतिशीला वर्तते । मानवजीवनं संस्कर्तुम् एषा यथासमयं नवां नवां विचारधारां स्वीकरोति, नवां शक्तिं च प्राप्नोति । अत्र दुराग्रहः नास्ति, यत् युक्तियुक्तं कल्याणकारि च तदत्र सहर्षं गृहीतं भवति । एतस्याः गतिशीलतायाः रहस्यं मानवजीवनस्य शाश्वतमूल्येषु निहितम्, तद् यथा सत्यस्य प्रतिष्ठा, सर्वभूतेषु समभावः विचारेषु औदार्यम्, आचारे दृढ़ता चेति ।
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प्रसंग: प्रस्तुत श्लोक में भारतीय संस्कृति की गतिशीलता और उसके लचीलेपन के बारे बताया गया है |
व्याख्या: हमारी संस्कृती सदा गतिशील रही है | मानव-जीवन को शुद्ध करने के लिए यह समयानुसार नई-नई विचारधारा को स्वीकार कर लेती है और नई शक्ति प्राप्त करती है | इस में दुराग्रह नहीं है , जो युक्तिसंगत और कल्याण करने वाला है , वह इस में हर्ष सहित ग्रहण किया जाता है| इसकी गतिशीलता का रहस्य मानव-जीवन में सदा रहने वाले मूल्यों में स्थित है, जैसे की सत्य का सम्मान , सभी प्राणियों के प्रति समान भाव, विचारों में उदारता और आचरण में दृढ़ता |
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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
बढ़त-बढ़त संपति-सलिलु, मन-सरोजु बढ़ि जाइ ।
घटत-घटत सु न फिरि घटै, बरु समूल कुम्हिलाइ ।।