निम्नलिखित दोहे को पढ़कर संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए- जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय । या आपा को डारि दे दया करे सब कोय।
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अर्थ – कबीर जी कहते है जब तक मनुष्य को लगता है सब कुछ मैं कर रहा हूँ वो अहंकार में लिप्त रहता हैं और उसे कही भी ईश्वर नजर नहीं आते। जैसे ही अज्ञानता पर ज्ञान का प्रकाश पड़ता है वैसे ही चारों ओर प्रभु के ही दर्शन होते हैं। हृदय में जैसे ही ज्ञान का दीपक जला वैसे ही सारा अंधियारा मिट गया। ज्ञान के आलोक से प्रभु को पाया जा सकता है और अहंकार मिटाया जा सकता हैं।
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