निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निकल
लिखिए।
अंक-शब्दसीमा-200-250
(क) कोरोनावायरस एक महामारी
(ख) पर्यावरण और हमारा दायित्व
Answers
Answer:
कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमितो की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. विश्व का शायद ही कोई देश हो जो इस महामारी के प्रकोप से बचा हो. तमाम अनुमानों के बावजूद इससे लड़ने में सभी देशों की अक्षमता लगातार सामने आ रही है. शुरू में लापरवाही दिखाने वाले देश आज इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.
अमेरिका, इंग्लैंड आदि जिन देशों ने प्रारंभ में इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखाई वह अब इस संकट से सबसे ज्यादा जूझ रहे हैं. कोरोना से बचने का जो सबसे बड़ा उपाय सामने आया है, वह है इससे बचाव के तरीकों का सख्ती से पालन. इसमें भीड़ से दूरी, मास्क का उपयोग, हाथ की लगातार सफाई आदि शामिल है. बचाव के तरीकों पर शुरू में कुछ असहमति थी मगर हाल के अनुभवों से लोग इसमें सहमत होते दिख रहे हैं.
Explanation:
कोरोना वायरस महामारी के रेस्पॉन्स दूसरे सामाजिक और पर्यावरणीय संकटों को लाने वाले जरियों का विस्तार ही है. यह एक तरह की वैल्यू के ऊपर दूसरे को प्राथमिकता देने से जुड़ा हुआ है. कोविड-19 से निपटने में ग्लोबल रेस्पॉन्स को तय करने में इसी डायनेमिक की बड़ी भूमिका है.
ऐसे में जैसे-जैसे वायरस को लेकर रेस्पॉन्स का विकास हो रहा है, उसे देखते हुए यह सोचना ज़रूरी है कि हमारा आर्थिक भविष्य क्या शक्ल लेगा?
एक आर्थिक नज़रिए से चार संभावित भविष्य हैं.
Answer:
पर्यावरण-प्रदूषण एक गंभीर समस्या का रूप ले चुका है। इसके साथ मानव समाज के जीवन-मरण का महत्वपूर्ण प्रश्न जुड़ा है। हमारा दायित्व है कि समय रहते इस समस्या के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाएं। यदि इसके लिए आवश्यक उपाय नहीं किए गए तो प्रदूषण-युक्त इस वातावरण में पूरी मानव-जाति का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है। आज मनुष्य अपनी सुख-सुविधा के लिए प्राकृतिक संपदाओं का अनुचित रूप से दोहन कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप यह समस्या सामने आई है।
सबसे पहले हमारे सामने यह प्रश्न उपस्थित होता है कि प्रदूषण क्या है? जल, वायु व भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में होने वाला कोई भी अवांछनीय परिवर्तन प्रदूषण है। एक और दुनिया तेजी से विकास कर रही है, जिंदगी को सजाने-संवारने के नए-नए तरीके ढूंढ़ रही है, दूसरी ओर वह तेजी से प्रदूषित होती जा रही है। इस प्रदूषण के कारण जीना दूभर होता जा रहा है। आज आसमान जहरीले धुएं से भरता जा रहा है। नदियों का पानी गंदा होता जा रहा है। सारी जलवायु, सारा वातावरण दूषित हो गया है। इसी वातावरण दूषण का वैज्ञानिक नाम है-प्रदूषण या पॉल्यूशन।
हमारा पर्यावरण किन कारणों से प्रदूषित हो रहा है? आज सारे विश्व के समक्ष जनसंख्या की वृद्धि सबसे बड़ी समस्या है। पर्यावरण प्रदूषण में जनसंख्या की वृद्धि ने अहम् भूमिका का निर्वाह किया है।
औद्योगीकरण के कारण आए दिन नए-नए कारखानों की स्थापना की जा रही है, इनसे निकलने वाले धुएं के कारण वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है। साथ ही मोटरों, रेलगाड़ियों आदि से निकलने वाले धुएं से भी पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इसके कारण सांस लेने के लिए शुद्ध वायु का मिल पाना मुश्किल है।
वायु के साथ-साथ जल भी प्रदूषित हो गया है। नदियों का पानी दूषित करने में बड़े कारखानों का सबसे बड़ा हाथ है। कारखानों का सारा कूड़ा-कचरा नदी के हवाले कर दिया जाता है, बिना यह सोचे कि इनमें से बहुत कुछ पानी में इस प्रकार घुल जाएंगे कि मछलियां मर जाएंगी और मनुष्य पी नहीं सकेंगे। राइन नदी के पानी का जब विशेषज्ञों ने समुद्र में गिरने से पूर्व परीक्षण किया तो एक घन सेंटीमीटर में बीस लाख जीवन-विरोधी तत्व मिले। कबीरदास के युग में भले ही बंधा पानी ही गंदा होता हो, आज तो बहता पानी भी निर्मल नहीं रह गया है, बल्कि उसके दूषित होने की संभावना और बढ़ गई है।
पर्यावरण प्रदूषण को वायु प्रदूषण या वातावरण प्रदूषण भी कहते हैं। वातावरण दो शब्दों से मिलकर बना है- वात+आवरण अर्थात् वायु का आवरण। पृथ्वी वायु की मोटी पर्त से ढकी हुई है। एक निश्चित ऊंचाई के पश्चात् यह पर्त पतली होती गई है। वायु नाना प्रकार की गैसों से मिलकर बनती है। वायु में ये गैसें एक निश्चित अनुपात में होती हैं। यदि इसके अनुपात में संतुलन बिगड़ जाएगा तो मानव या सभी जीवों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
हम सभी अपनी सांस में वायु से ऑक्सीजन लेते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। मोटर गाड़ियों, स्कूटरों आदि वाहनों से निकला विषैला धुआं वायु को प्रदूषित करता है। अमेरिका में प्रत्येक तीन व्यक्ति के पीछे कार है, जिनसे प्रतिदिन ढाई लाख टन विषैला धुआं निकलता है। पेड़-पौधे इस विषैली कार्बन डाइऑक्साइड को सांस के रूप में ग्रहण कर लेते हैं और ऑक्सीजन बाहर निकालते हैं वायुमंडल में इन जहरीली गैसों का अधिक दबाव बढ़ना ही प्रदूषण कहा जाता है। कोयले आदि ईंधनों के जलाए जाने से उत्पन्न धुआं वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है।
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