Psychology, asked by mrsinghave1324, 1 year ago

‘ नैमित्तिक आक्रमण ‘ तथा ‘ शत्रुतापूर्ण आक्रमण ‘ में अंतर कीजिए I आक्रमणता तथा हिंसा को कम करने हेतु कुछ युक्तियों का सुझाव दीजिए I

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Answered by TbiaSupreme
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"‘नैमित्तिक आक्रमण’ किसी लक्ष्य जैसे कि कोई वस्तु या धन आदि को पाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए  चोर या डाकू राह चलते किसी राहगीर पर आक्रमण करते हैं तो उनका उद्देश्य धन को प्राप्त करना होता है।

‘शत्रुतापूर्ण आक्रमण’ में किसी को शारीरिक या मानसिक हानि पहुंचाने की भावना प्रबल होती है जो कि  पूर्व में घटित किसी घटना के परिणामस्वरुप उत्पन्न हुई क्रोध की अभिव्यक्ति या आक्रोश को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।  इसमें किसी वस्तु को पाने की भाव मुख्य नही होता।

आक्रामकता एवं हिंसा के अलग-अलग तरह के कारण हो सकते हैं उन कारणों पर विवेचन कर कई तरह की उपाय आजमाए जा सकते हैं जिनसे समाज में आक्रामकता एवं हिंसा के प्रभाव को कम किया जा सके

(1) सर्वप्रथम माता-पिता को अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना चाहिए। उनके अंदर सहनशीलता का भाव विकसित करना चाहिए। अहिंसा का महत्व समझाते हुये हिंसा को हमेशा नकारात्मक रूप में प्रस्तुत करें जिससे बच्चों के अंदर आक्रामकता व हिंसा की अभिवृत्ति विकसित ही न हो पाये। विद्यालयों में भी शिक्षकों का कर्तव्य है कि छात्रों को अनुशासन से रहना सिखाएं और किसी भी तरह की आक्रामकता एवं हिंसा जैसे कृत्यों से दूर रहने की शिक्षा दें।

अनुशासन का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान हो ताकि छात्र अनुशासन का पालन करने के लिये बाध्य हों। अनुशासनहीनता उग्र व्यवहार का कारण बन सकती है जो आगे चलकर आक्रामकता और हिंसा मे बदल सकता है।  

(2) समाज को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समाज में किसी तरह का भेदभाव व अन्याय ना हो, क्योंकि भेदभाव व अन्याय  आक्रामकता  व  हिंसा को जन्म दे सकते हैं।  यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समाज में सभी को समान रूप से उनके अधिकार मिलें। भेदभाव को कम किया जाना चाहिये और संतुष्टि का स्तर बढ़ाया जाना चाहिये, क्योंकि समाज में यदि असंतोष रहेगा तो आक्रोश उत्पन्न होगा, जो अंत में आक्रामकता व हिंसा के रूप में उभर सकता है।

(3) ऐसे लोगों की जो आक्रामकता एवं हिंसा के पक्षधर हैं उनको महिमा मंडित करने से बचना चाहिए तथा हर स्तर पर उनकी आलोचना एवं विरोध करना चाहिए। समाज के अन्य लोग ऐसे लोगों को अपने रोल मॉडल के रूप में ना अपना पाएं, ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।

(4) समाज में हर स्तर पर शांति रखने का प्रयत्न होना चाहिए।  इसके लिए आवश्यक है कि शासन-प्रशासन अपना कार्य कुशलता से करें। जिससे आक्रामक व हिंसा पसंद लोगों को किसी तरह का उपद्रव करने का अवसर ही न प्राप्त हो।

(5) समाज के कर्ता-धर्ताओं को ये सुनिश्चित करना चाहिये कि समाज में निर्धनता व बेरोजगारी न बढ़े। क्योंकि निर्धन और बेरोजगार, धन व काम न होने पर अपराधों की और मुड़ सकते हैं और अपराध अर्थात आक्रामकता व हिंसा।

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