निमनलिखित पद्यांश का भावार्थ लेखिए
माथे पे तू हो चंदन छाती पे तू हो माला;
जिह्ववा पे गीत तू हो मेरा ,तेरा ही नाम गाऊँ । ।
summary
' हे मातृभूमि इस कविता में कवि रामप्रसाद 'बिस्मिल जी ने मातृभूमि के प्रति अपने प्रेम एवं भक्तिभाव को व्यक्त किया है । इस कविता के माध्यम से उन्होंने मातृभूमि की सेवा करने और देशहित में निछावर हो जाने की लालसा व्यक्त की है। (8 th Hindi 1 st poem matrabhumi )
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