नेपाल के लोग अपने देश में लोकतंत्र को बहाल करने में कैसे सफल हुए?
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"नेपाल अतीत में एक हिंदू राज्य था फिर आधुनिक काल में सालों तक यहां से संवैधानिक राजतंत्र रहा| ट्रांसलेटर के दौर में राजनीतिक पार्टियां और आम जनता उत्तरदाई और पारदर्शी शासन के लिए आवाज उठाती रही| परंतु राजा नई सेना की सहायता से शासन पर पूर्ण नियंत्रण कर रखा था| आखिरकार राजा ने 1990 मे लोकतंत्र- समर्थक आंदोलन की वजह से नए लोकतांत्रिक संविधान की मांग मानी, लेकिन आती लोकतांत्रिक सरकारों का कार्यकाल बहुत छोटा और समस्याओं बरा रहा| 1990 के दशक में नेपाल के अनेक हिस्सों पर माओवादियों ने प्रभाव जमा लिया| माओवादी सत्ताधारी सरकार के खिलाफ सहस्त्र विद्रोह करना चाहते थे| इस वजह से सेना और माओवादी गुरीलो के बीच हिंसक लड़ाइयां हुई| इस प्रकार राजा की सेना, लोकतंत्र- समर्थकों और माओवादियों के बीच त्रिकोणीय संघर्ष हुए| 2002 में राजा ने सांसद भग करके सरकार गिरा दी और थोड़ा बहुत बचा हुआ लोकतंत्र समाप्त कर दिया| अप्रैल 2006 देशव्यापी लोकतंत्र- समर्थक आंदोलन और प्रदर्शन हुए| बाध्य होकर राजा ज्ञानेंद्र ने संसद को बहाल किया| इस हिंसक प्रदर्शनों में सेवेन पार्टी अलायंस, माओवादी और सामाजिक कार्यकर्ता प्रमुख थे|
फिलहाल नेपाल अपने इतिहास के एक अद्वितीय दौर से गुजर रहा है क्योंकि वहां संविधान- सभा के गठन की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं जो संविधान लिखेगी| नेपाल में राजतंत्र समाप्त होकर लोकतंत्र स्थापित हो चुका है|"
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