न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र की चुनौती है कैसे? इसके सुधार के उपाय क्या है?
Answers
आमतौर पर तो न्यायपालिका की यही भूमिका है की वह लोगों के हक की रक्षा करे और उनका विश्वास देश के न्याय में बनाए रहे। परंतु कुछ कार्य या कुछ निर्णय ऐसे होते हैं जिनके कारण हो सकता है की लोगों का देश की न्यायव्यवस्था और लोकतंत्र पर से भरोसा उठ जाए।इसी कारण यह कहा जा सकता है की न्यायपालिका लोकतंत्र के लिए चुनौती है।
इसके सुधार के लिए कुछ उपाये हैं:
1) न्यायपालिका का निर्णय लेने के तरीके में बदलाव।
2) जो भी निर्णय न्यायपालिका ले उन्हें जल्द से जल्द निपटाने प्रयास करे।
3) लोकतंत्र में हो रहे बदलावों को न्यायपालिका को मजबूती से पेश करना चाहिए और नागरिकों को समझाना चाहिए।
Explanation:
भारतीय लोकतंत्र प्रतिनिधियातमक लोकतंत्र है इसमें शासन का संचालन जनप्रतिनिधियों द्वारा होता है भारतीय सरकार के तीन अंग है कार्यपालिका विधायिका तथा न्यायपालिका परंतु लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र के लिए चुनौती बनती जा रही है न्यायपालिका अपने क्षेत्राधिकार से बाहर आकर कार्यपालिका तथा विधायिका को प्रभावित कर रही है उनके कार्य में हस्तक्षेप कर रही हैं जिससे संघर्ष की स्थिति पैदा होती जा रही है विदाई का जब कोई कानून बनाती है तो न्यायपालिका उस कानून को व्यवहारिक तौर पर फेरबदल करने के लिए न्यायपालिका पर दबाव डालती है जिससे टकराव की स्थिति पैदा होती है न्यायपालिका को विधायिका द्वारा बनाए गए कानून पर मनन करना चाहिए जिससे सरकार के तीनों अंग विधायिका कार्यपालिका तथा न्यायपालिका सामंजस्य स्थापित कर लोकतंत्र को मजबूत कर सके न्यायपालिका को विधायकों तथा कार्यपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए अपने कार्य को समुचित ढंग से करना चाहिए तभी जाकर न्यायपालिका कार्यपालिका तथा विधायक का तीनों मिलकर हमारे देश भारत के लोकतंत्र को अधिकाधिक मजबूत कर सकेंगे