India Languages, asked by rajeshgadiya6343, 10 months ago

नियतं कुरु कर्म त्वं .... प्रसिद्धयेदकर्मणः अस्य श्लोकस्य भावार्थ कुरुत।

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Answered by coolthakursaini36
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नियतं कुरु कर्म त्वं .... प्रसिद्धयेदकर्मणः अस्य श्लोकस्य भावार्थ कुरुत।

भावार्थ-> युद्ध के क्षेत्र कुरुक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कर्म योग के विषय में बताते हुए कहते हैं कि हे अर्जुन तुम्हें अपने क्षत्रिय धर्म के अनुसार यथा उचित कर्म करना चाहिए क्योंकि कर्म ना करने से कर्म करना श्रेष्ठ है।

यदि तुम कुछ भी कर्म नहीं करोगे तो तुम्हारे लिए इस संसार में जीवन निर्वाह करना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा। अर्थात बिना कर्म किए हुए कोई भी कार्य नहीं होगा। तुम्हें अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए इस तरह शास्त्र छोड़कर बैठने से काम नहीं चलेगा तुम क्षत्रिय हो और क्षत्रिय कभी युद्ध में हथियार नहीं छोड़ते हैं इसलिए तुम्हें अपने कर्म का पालन करना चाहिए।

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