nainital ka bhraman likhe nibandh
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देश-विदेश की सैर किसे रोमांचित नहीं करती है ? गरमियों के महीनों में किसी पर्वतीय स्थल का अपना ही आनंद है । इस आनंद का सौभाग्य मुझे अपने पिछले ग्रीष्म अवकाश में प्राप्त हुआ । जब मेरे पिताजी ने हमें नैनीताल भ्रमण की योजना बताई तो उस समय मेरी प्रसन्नता की कोई सीमा न रही ।
किसी पर्वतीय स्थल की यह मेरी पहली सैर थी । यात्रा की शाम मैं अपने माता-पिता व भाई-बहन के साथ बस स्टैंड पहुँचा जहाँ पर वातानुकूलित बस के लिए पिताजी ने पहले से ही सीटें आरक्षित करा रखी थीं । हमारी बस ने रात्रि के ठीक 10:00 बजे प्रस्थान किया ।
बस में मधुर संगीत का आनंद लेते कब मुझे नींद आ गई इसका मुझे पता नहीं चला । प्रात: काल जब नींद खुली तो हमारी बस नैनीताल की सीमा में प्रवेश ही कर रही थी । एक प्रमुख पर्वतीय स्थल होने के कारण यहाँ की सड़कें स्वच्छ थीं तथा यहाँ की यात्रा चढ़ाव व आड़े-तिरछे रास्तों के बावजूद आरामदायक रही । हम प्रात: काल 8.00 बजे गंतव्य होटल पर पहुँच गए ।
नैनीताल के समीप रास्ते अत्यंत टेढ़े-मेढ़े थे । सड़क के दोनों ओर घाटियों के दृश्य एक ओर तो प्राकृतिक सौंदर्य के आनंद से भाव-विभोर कर रहे थे वहीं दूसरी ओर नीचे इन घाटियों की गहराई का अंकन हृदय में सिहरन भर देता और हम भय से नजर दूसरी ओर कर लेते । चारों ओर पहाड़ों व हरे-भरे वृक्ष अत्यंत सुंदर प्रतीत हो रहे थे ।