'नव प्रभात' कविता का मूलभाव अपने शब्दों में लिखिए।
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छट गया जग का अँधियारा
कलरव-संगीत मधुर करें हैं
जैसे उम्मीद का एक साया।
छुप कर बैठे क्यों कोने में
अंधियारे के साये में
नव प्रभात का डगर सरल
आ भी तू उजियारे में।
सुख की गीत गाये सब मिलकर
पत्ती -पत्ती डाली -डाली
सहज़ स्वभाव चिंता अब कैसी
उजियारे के साये में।
नभ चर हर प्राणी जगा
जागा सारा संसारा
एक उम्मीद किरण की लेकर
चल पड़ा हैं जग ये सारा।
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