ncert summary of class 9 chapter 10 hindi kshitij
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"वाख" कविता में कावित्री मनुष्य को मध्यम मार्ग अपनाने की सीख देते हुए कहती हैं कि मनुष्य तो हमेशा इन सांसारिक भोगविलासिताओ की पहेलियों को सुलझाने में ही उलझा रहता है। इससे तुझे कुछ हासिल नहीं हो पाएगा। अगर तुम इस भोग के खिलाफ़ त्याग, तपस्या का जीवन अपनाएगा तो तेरे मन में सिर्फ अहंकार ही बड़ेगा। तुम्हें इनके बीच का मार्ग अपनाना चाहिए। भोग त्याग, सुख दुख के माध्यम का मार्ग अपनाने से ही तुम्हें उस सर्वे शक्तिशाली ईश्वर की प्राप्ति होगी। इससे ही प्रभु प्राप्ति का बंद द्वार खुलेगा और फिर ही तुम्हारा प्रभु से मिलन हो पाएगा।
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