Nibandh-Ghanti ki atmakatha
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मेरा नाम घंटी है। मैं देखने में बहुत सुंदर हूँ। मैं नवीन विद्यालय में रहती हूँ। विद्यालय के सब विद्यार्थी मुझे बहुत प्रेम करते हैं। वे प्रतिदिन मेरी आवाज़ सुनने के लिए उत्सुक्त रहते हैं। ज्यादातर वे अन्तराल और खेल कूद के समय पर मेरा अत्यधिक इंतज़ार करते हैं। क्योंकि मेरी आवाज़ सुनने पर ही अध्यापक की कक्षा पूर्ण होती है और वे विद्यार्थियों को बाहर निकलने देते हैं।
सबसे पहले मेरा कोई आकार नहीं था। एक दिन मेरे मालिक के मन में मुझे बनाने का विचार आया। उन्होंने 77% तांबा और 23% टिन मिलाया। उसे गर्म करा। फिर उन्होंने उसे एक सांचे में डाला। उसके बाद उसे ठंडा होने के लिए करीब एक हफ्ता छोड़ दिया।
एक घंटी बनाने वाले विशेषज्ञ ने उसको सही आवाज़ देने के लिए थोड़ा काटकर ठीक करा। फिर उसके अंदर एक टुकड़ा लगाया गया जिससे घंटी को हिलाने से आवाज़ निकले। इस प्रकार मुझे अपना यह रूप प्राप्त हुआ।
मेरे मालिक ने मुझे चमकाकर अपनी दूकान के शोकेस में रखा। नवीन विद्यालय के प्रधानाध्यापक जी घंटी खरीदने आये। वे मुझे देखकर बहुत खुश हुए और उन्होंने मुझे तुरंत खरीद लिया। उस दिन से नवीन विद्यालय मेरा घर बन गया।
Answer:
swatahun prayatna kara.