nibandh on vidyarthi jeevan
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STUDENT LIFE --- विद्यार्थी जीवन
हर मनुष्य के जीवन में एक ऐसा दशा आता है जिसमे वह अपने जीवन का अति सुंदर अति अधभूत अनुभव पाता है। वह है विद्यार्धी जीवन। सब विद्यार्थियों के मन में बहुत उमंगें होती हैं। कुछ न कुछ उपलबड़ियाँ प्राप्त करने का, कुछ बड़ा नाम कमाने का, कुछ कर दिखाने का मन करता है।
विद्यार्थी जीवन काफी सरल होता है। सुबह जागने के बाद तैयार होके थोडसा पढ़ाई, पाठशाला नाश्ता, जानी की तैयारी, विद्यालय में अध्यापन, खेल, परीखाएं, प्रतियोगिताएं, इत्यादि। इन सब के साथ साथ में बहुत बच्चों का होता है अपने दोस्तों के साथ । फिर घर लौट आना और नाश्ता, होमवर्क, अस्सैंमेंट, खेल कूद, कुछ मजा करना, टीवी देखना और फिर खाना और सोना।
यही होता है अधिकतर सब विद्यार्थियों का दैनिक क्रम। उनके मन में यह होता है कि कैसे जल्दी जल्दी से काम लिपटा लें, और कुछ मनोरंजन करलें। बहुत कम विद्यार्थियों में उत्तरदायित्व और जवाबदारी विकास होते हैं। आजकल के जमाने मैं सब चीजों में और जगहों में प्रतियोगिता बढ़ गया है। इस से विद्यार्थियों पर जायदा दबाव होता है। कुछ विद्यार्थी (पैसे के आभाव के कारण या कुछ और) बहुत से कष्ट झेलते हुए, रुकावट पर करते हुए पढ़ते हैं। कुछ विद्यार्थी अपने साथियों के और अध्यापकों के मज़ाक उड़ाते हैं। यह ठीक नहीं हैं। जब हम दूसरों को पर्फेक्ट, अद्वितीय, बिन-कमी के होने की अपेक्षा करते हैं, तो हम को भी उतना ही स्तर का होना चाहिए।
विद्यार्थी जीवन में उनको अपने जीवन लक्ष्य का फैसला करना होता है। किसी किसी को सही फैसला लेने का अवसर मिलता है। बहुत युवकों का पेशा या जीविका जल्दी से निश्चित नहीं होता। कुछ विद्यार्थी सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देते हैं और अच्छे अंक लाते हैं। कुछ विद्यार्थी बहुमुख प्रज्ञा दिखाते हैं। कुछ विद्यार्थी राजनैतिक पंथ चुनते हैं, और उन सब कामों में व्यस्त और व्याकुल रहते हैं। कुछ तो अच्छे खेलों में अपने जीवन अंकित कर लेते हैं।
आजकल विद्यार्थी और माता पिता बच्चों के पढ़ाई पर अधिक ध्यान देते हैं। दिन व दिन प्रगति का अनुश्रवण करते हैं। पढ़ाई में ऊंचे ऊंचे परीक्षाओं में उत्तेर्ण होकर , विदेश जाकर पढ़ाई करना , ऊंचे पदों पर पहुँचने के प्रयत्न करना या तो अपने जवानी में ही व्यापार (बिज़नस) शुरू करना - इन सब में इच्छा रखते हैं। विद्यार्थियों को अपने जीवन लक्ष्य को हर समय अपने सामने रखना चाहिए, और समय का सही वितरण करना चाहिए। मनोरंजन, और खेलों पर जरूरत से ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। जब विद्या सीखकर समाज में प्रवेश करते हैं, समाज के लिए और अपने लिए कुछ करने का क्षमता रखना चाहिए ।
हर विद्यार्थी को अपने जीवन के लक्ष्य के साथ साथ अपने माता पिता के खयाल भी रखना चाहिए। देश के एक अच्छे नागरिक बनाना चाहिए। अगर देश के लिए प्रत्यक्ष रूप से कुछ न कर पते हैं, तो ठीक पर, लेकिन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से तो नुकसान नहीं पहुंचाना है। अपने मातृदेश का और मातृभाषा का हमेश सम्मान करना चाहिए। पढ़ाई जो भी करें , अपने माता और पिता के सर ऊंचे होने की ओर साधन करना है सब विद्यार्थियों और युवकों का।
हर मनुष्य के जीवन में एक ऐसा दशा आता है जिसमे वह अपने जीवन का अति सुंदर अति अधभूत अनुभव पाता है। वह है विद्यार्धी जीवन। सब विद्यार्थियों के मन में बहुत उमंगें होती हैं। कुछ न कुछ उपलबड़ियाँ प्राप्त करने का, कुछ बड़ा नाम कमाने का, कुछ कर दिखाने का मन करता है।
विद्यार्थी जीवन काफी सरल होता है। सुबह जागने के बाद तैयार होके थोडसा पढ़ाई, पाठशाला नाश्ता, जानी की तैयारी, विद्यालय में अध्यापन, खेल, परीखाएं, प्रतियोगिताएं, इत्यादि। इन सब के साथ साथ में बहुत बच्चों का होता है अपने दोस्तों के साथ । फिर घर लौट आना और नाश्ता, होमवर्क, अस्सैंमेंट, खेल कूद, कुछ मजा करना, टीवी देखना और फिर खाना और सोना।
यही होता है अधिकतर सब विद्यार्थियों का दैनिक क्रम। उनके मन में यह होता है कि कैसे जल्दी जल्दी से काम लिपटा लें, और कुछ मनोरंजन करलें। बहुत कम विद्यार्थियों में उत्तरदायित्व और जवाबदारी विकास होते हैं। आजकल के जमाने मैं सब चीजों में और जगहों में प्रतियोगिता बढ़ गया है। इस से विद्यार्थियों पर जायदा दबाव होता है। कुछ विद्यार्थी (पैसे के आभाव के कारण या कुछ और) बहुत से कष्ट झेलते हुए, रुकावट पर करते हुए पढ़ते हैं। कुछ विद्यार्थी अपने साथियों के और अध्यापकों के मज़ाक उड़ाते हैं। यह ठीक नहीं हैं। जब हम दूसरों को पर्फेक्ट, अद्वितीय, बिन-कमी के होने की अपेक्षा करते हैं, तो हम को भी उतना ही स्तर का होना चाहिए।
विद्यार्थी जीवन में उनको अपने जीवन लक्ष्य का फैसला करना होता है। किसी किसी को सही फैसला लेने का अवसर मिलता है। बहुत युवकों का पेशा या जीविका जल्दी से निश्चित नहीं होता। कुछ विद्यार्थी सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देते हैं और अच्छे अंक लाते हैं। कुछ विद्यार्थी बहुमुख प्रज्ञा दिखाते हैं। कुछ विद्यार्थी राजनैतिक पंथ चुनते हैं, और उन सब कामों में व्यस्त और व्याकुल रहते हैं। कुछ तो अच्छे खेलों में अपने जीवन अंकित कर लेते हैं।
आजकल विद्यार्थी और माता पिता बच्चों के पढ़ाई पर अधिक ध्यान देते हैं। दिन व दिन प्रगति का अनुश्रवण करते हैं। पढ़ाई में ऊंचे ऊंचे परीक्षाओं में उत्तेर्ण होकर , विदेश जाकर पढ़ाई करना , ऊंचे पदों पर पहुँचने के प्रयत्न करना या तो अपने जवानी में ही व्यापार (बिज़नस) शुरू करना - इन सब में इच्छा रखते हैं। विद्यार्थियों को अपने जीवन लक्ष्य को हर समय अपने सामने रखना चाहिए, और समय का सही वितरण करना चाहिए। मनोरंजन, और खेलों पर जरूरत से ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। जब विद्या सीखकर समाज में प्रवेश करते हैं, समाज के लिए और अपने लिए कुछ करने का क्षमता रखना चाहिए ।
हर विद्यार्थी को अपने जीवन के लक्ष्य के साथ साथ अपने माता पिता के खयाल भी रखना चाहिए। देश के एक अच्छे नागरिक बनाना चाहिए। अगर देश के लिए प्रत्यक्ष रूप से कुछ न कर पते हैं, तो ठीक पर, लेकिन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से तो नुकसान नहीं पहुंचाना है। अपने मातृदेश का और मातृभाषा का हमेश सम्मान करना चाहिए। पढ़ाई जो भी करें , अपने माता और पिता के सर ऊंचे होने की ओर साधन करना है सब विद्यार्थियों और युवकों का।
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Ek acche Vidyarthi par desh ka bhavishya nirbhar karta hai isliye Vidyarthi Jeevan mein sahi Marg Darshan Hona bahut jaroori Hota Hai
Hope it helps u
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