ऑनलाइन कक्षा की पहले दिन का अनुभव डायरी में लिखिए |
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परीक्षा के पहले दिन के अनुभवक्ष को डायरी
परीक्षा का वह पहला दिन मुझे आज भी याद था, ऐसा लगा रहा था मानो कुछ जो कुछ पढ़ा था सब भूल गया हूँ। दिल-दिमाग दोनों घबराया हुआ थे।
सारी तैयारी करने बाद भी कुछ भी नहीं आता। स्कूल में सब बच्चों को पढ़ते देख कर मुझे डर लगा की सब पढ़ रहे है मुझे कुछ नहीं आता ।
जब मैं परीक्षा भवन में पहुँचा और सोचने लगा कि - मैं किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकूँगा या नहीं। मैंने डरे हुए मन से परीक्षा भवन में प्रवेश किया। मैं अपनी जगह खोजकर बैठ गया। सब मित्र आपस में आज की परीक्षा के बारे बाते कर रहे थे मैं सुन रहा था मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था। परीक्षा में समय था मैंने सोचा मैं थोड़ा पढ़ लेता हूँ। जब घण्टी बज गई तब मैं घबरा गया। मैं अपनी कापी को रखकर अपनी जगह पर बैठ गया। अध्यापक परीक्षा भवन में आया और पर्चा बाँटने लग गया। मैं डर से काँप रहा था। जब मैंने प्रश्न पत्र देखा तो मैंने पाया कि प्रश्न आसान थे। इसलिए मेरा डर दूर हो गया और मैंने उन प्रश्नों को टिक किया, जिनका उत्तर मुझे देना था। मेरी परीक्षा बहुत अच्छी हुई और ऐसा ही डर रहा था | डर तो लगता है ही है पर मैंने सोच लिया अब मैं खुद पर विश्वास रखूँगा डरूंगा नहीं चाहिए, कुछ जाने बिना डरना नहीं चाहिए ।