Organs of respiration, gills, lungs and trachea wikipedia hindi
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Respiration--सांस लेने को ‘श्वास’ और सांस छोड़ने को ‘प्रश्वास’ कहते हैं। इस ‘श्वास-प्रश्वास क्रिया’ को ही ‘श्वसन क्रिया’ कहते हैं।
श्वास-गति (Breathing Rate)
साधारणत: स्वस्थ मनुष्य एक मिनट में 16 से 20 बार तक सांस लेता है। भिन्न-भिन्न आयु में सांस संख्या निम्नानुसार होती है-
आयु -- संख्या प्रति मिनट
दो महीने से दो साल तक 35 प्रति मिनट
दो साल से छ: साल तक 23 प्रति मिनट
छ: साल से बारह साल तक 20 प्रति मिनट
बारह साल से पन्द्रह साल तक 18 प्रति मिनट
पन्द्रह साल से इक्कीस साल तक 16 से 18 प्रति मिनट
सांस-नली (Trachea)--
यह प्राय: साढ़े चार इंच लम्बी, बीच में खोखली एक नली होती है, जो गले में टटोली जा सकती है। यह भोजन की नली (अन्न नाल) के साथ गले से नीचे वक्षगहर में चली जाती है। वक्षगहर में, नीचे के सिरे पर चलकर इसकी दो शाखाएं हो गई हैं। इसकी एक शाखा दाएं फेफड़े में और दूसरी बाएं फेफड़े में चली गई है। ये ही दोनों शाखाएं वायु नली कहलाती हैं। श्वास नली और वायु नली फेफड़े में जाने के प्रधान वायु पथ हैं।
फुफ्फुस (Lungs)--
हमारी छाती में दो फुफ्फुस (फेफड़े) होते हैं - दायां और बायां। दायां फेफड़ा बाएं से एक इंच छोटा, पर कुछ अधिक चौड़ा होता है। दाएं फेफड़े का औसत भार 23 औंस और बाएं का 19 औंस होता है। पुरुषों के फेफड़े स्त्रियों के फुफ्फुसों से कुछ भारी होते हैं।
फुफ्फुस चिकने और कोमल होते हैं। इनके भीतर अत्यंत सूक्ष्म अनन्त कोष्ठ होते हैं जिनको ‘वायु कोष्ठ’ (Air cells) कहते हैं। इन वायु कोष्ठों में वायु भरी होती है। फेफड़े युवावस्था में मटियाला और वृद्धावस्था में गहरे रंग का स्याही मायल हो जाता है। ये भीतर से स्पंज-समान होते हैं।
श्वास-गति (Breathing Rate)
साधारणत: स्वस्थ मनुष्य एक मिनट में 16 से 20 बार तक सांस लेता है। भिन्न-भिन्न आयु में सांस संख्या निम्नानुसार होती है-
आयु -- संख्या प्रति मिनट
दो महीने से दो साल तक 35 प्रति मिनट
दो साल से छ: साल तक 23 प्रति मिनट
छ: साल से बारह साल तक 20 प्रति मिनट
बारह साल से पन्द्रह साल तक 18 प्रति मिनट
पन्द्रह साल से इक्कीस साल तक 16 से 18 प्रति मिनट
सांस-नली (Trachea)--
यह प्राय: साढ़े चार इंच लम्बी, बीच में खोखली एक नली होती है, जो गले में टटोली जा सकती है। यह भोजन की नली (अन्न नाल) के साथ गले से नीचे वक्षगहर में चली जाती है। वक्षगहर में, नीचे के सिरे पर चलकर इसकी दो शाखाएं हो गई हैं। इसकी एक शाखा दाएं फेफड़े में और दूसरी बाएं फेफड़े में चली गई है। ये ही दोनों शाखाएं वायु नली कहलाती हैं। श्वास नली और वायु नली फेफड़े में जाने के प्रधान वायु पथ हैं।
फुफ्फुस (Lungs)--
हमारी छाती में दो फुफ्फुस (फेफड़े) होते हैं - दायां और बायां। दायां फेफड़ा बाएं से एक इंच छोटा, पर कुछ अधिक चौड़ा होता है। दाएं फेफड़े का औसत भार 23 औंस और बाएं का 19 औंस होता है। पुरुषों के फेफड़े स्त्रियों के फुफ्फुसों से कुछ भारी होते हैं।
फुफ्फुस चिकने और कोमल होते हैं। इनके भीतर अत्यंत सूक्ष्म अनन्त कोष्ठ होते हैं जिनको ‘वायु कोष्ठ’ (Air cells) कहते हैं। इन वायु कोष्ठों में वायु भरी होती है। फेफड़े युवावस्था में मटियाला और वृद्धावस्था में गहरे रंग का स्याही मायल हो जाता है। ये भीतर से स्पंज-समान होते हैं।
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