औरे भाँति कुंजन में गुजरत भीर भौंर,
औरे डौर झौरन पैं, बौरन के हवै गये।
कहैं पद्माकर सु औरे भाँति गलियानि,
छलिया छबीले छैल और छबि छवै गये।
tell the bhavrth of this pome
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उन को आदरपूर्वक उसके निवास स्थान पर छोड़ आए।
इससे पता चलता है कि जागा निसिचर देखिन केसा।
मानहुँ कालु देह धरि बेसा॥
कुंभकरन चूशा का भाई। काहे तब मुख रहे सुखाई।
कया कही सब तेहि अभिमानी। जेहि प्रकार सीता हरि आनी॥
तात कपिन्ह सब निसिचर पारे। महा महा जोधा संपारे।
दुर्मुख सुरक्षुि मनुज हारी। पर अतिकाय अपन भारी।
अपर महोदर आदिक बीरा। परे सबर महि सब रनधीगा।।
meghwalv937:
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