Social Sciences, asked by faizalkhan850, 10 months ago

पिछले दशकों में भारत की राष्ट्रीय आय में होने वाले परिवर्तन क्या संकेत देते हैं?

Answers

Answered by shishir303
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पिछले दशकों में भारत की राष्ट्रीय आय में होने वाले परिवर्तन भारत की अर्थव्यवस्था में होने वाले परिवर्तन का संकेत देते हैं और राष्ट्रीय आय में होने वाली वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं की कतार में लाकर खड़ा कर देती है।

Explanation:

किसी भी देश की राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में निरंतर होने वाली वृद्धि उस देश के विकासशील स्वरुप से विकसित स्वरूप की ओर जाने वाले मार्ग का को प्रशस्त करती है। पिछले कई दशकों में भारत की अंकित विकास दर निरंतर बढ़ती रही है, जो कि इस प्रकार है... 3.5% – 5% – 6.8% – 8%। इस तरह विकास दर निरंतर बढ़ने से राष्ट्रीय आय में उत्तरोत्तर वृद्धि होती रही है और राष्ट्रीय आय बढ़ने से प्रति व्यक्ति आय बढ़ना स्वभाविक है। इससे भारत विकासशील देशों से विकसित अर्थव्यवस्था वाले मार्ग की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

Answered by Anonymous
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Answer:

भारत की राष्ट्रीय आय

Explanation:

पिछले कुछ सालों से भारत की राष्ट्रीय आय में वृद्धि हुई है।यह हमारे लिए गर्व की बात है क्यूंकि किसी भी देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि से वो विश्व के सबसे शक्तिशाली,धनी,प्रगतिशील और उन्नत देशों में आ जाता है।इसका सबसे बड़ा कारण है महिलाओं का आगे बढ़ना।आज शहरों और गांव की महिलाएं भी पढ़ लिखकर जीवन मैं आगे बढ़ रही हैं।आज गाओं में भी बच्चों और बड़े लोगो को पढ़ाया जा रहा है और हर रोज़ रोजगार के कई नए मौके मिल रहे हैं।

बचत, संपत्ति की कीमतें और शुरुआती संपत्ति. संपत्ति में होने वाली वृद्धि में एसेट खासकर जमीन की कीमतों की मुद्रास्फीति का भी कुछ योगदान है.

-इसका मतलब है कि जिन लोगों के पास पहले से संपत्ति है, वे दूसरे लोगों के मुकाबले तेजी से अमीर बन रहे हैं.

-अंग्रेजी शासन के अंतिम सालों में संपत्ति (600-700 फीसदी अनुपात) का आकार 6-7 साल की राष्ट्रीय आय जितनी थी. 1950 और 1980 के बीच संपत्ति घटकर 3 से 4 साल की आय जितनी रह गई. फिर से यह करीब 6 साल के आय की तरफ बढ़ रही है.

राष्ट्रीय संपत्ति : सरकारी+निजी संपत्ति (जमीन, मशीन, इमारत और रिहाइश, नेट फॉरेन एसेट, सोना और चांदी)

राष्ट्रीय आय : शुद्ध घरेलू उत्पाद+विदेश से शुद्ध आय

राष्ट्रीय बचत : शुद्ध पूंजी निर्माण+शुद्ध विदेशी निवेश+विदेश से संपत्ति का ट्रांसफर

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