पाल
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चतर चित्रकार
ताक आँच मुंबकर
चित्रकार सलमान जगत में,
बना रहा था चित्र
शतने ही पहा आ गया,
क्या
ये
किनारे भाव लगी थी.
चा था बॉम,
परख उड़ गए होश,
नदी, पहाड, पेन, पत्तों का,
जी भरके मांगा
काल गया वह दूर
और था धोखा खाकर
नाहट में च।
बहत खिसियाकर बोला,
भाव जरा ले रोक
लम और कागज तो ले जा.
फिर उसको कछ विम्यत आई,
देख उसे चुपचाप
बोला सुंदर चित्र बना
बैठ जाइए आप।
उकरूगका बैठ गया चार,
सारे अंग बटोर,
बड़े ध्यान से लगा देखने,
चित्रकार की ओर।
चित्रकार ने कहा हो गया, ५
आगे का तैयार
अब मुंह आप उधर तो करिए,
जंगल के सरदार।
कायर डरपोक।
चित्रकार ने कहा तुरत ही,
रखिए अपने पास,
चित्रकला का आप कीजिए,
जंगल में अभ्यास।
-सपनोश त्रिपाठी
धर्य और विवेक से शव को पराजित किया जा सकता है।
ADUR
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