पोलियो पर अनुछेद | 150 शब्दों में
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विश्व पोलियो दिवस को एक दशक पहले रोटरी इंटरनेशनल ने जोनास साल्क के जन्म के अवसर पर शुरू किया था, जिन्होंने पोलियोमाइलाइटिस के खिलाफ़ टीका विकसित किया।
निष्क्रिय पोलियोवायरस वैक्सीन और लाइव मौखिक पोलियोवायरस वैक्सीन का उपयोग करने के लिए वर्ष 1988 में ग्लोबल पोलियो उन्मूलन पहल (जीपीईआई) की स्थापना की गयी। यह सार्वजनिक-निजी साझेदारी है, जिसमें रोटरी, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए यू.एस. केंद्र, यूनिसेफ, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और अन्य देशों की सरकारें शामिल हैं।
पोलियो मुक्त भारत: भारत में आख़िरी पोलियो के मामले से छह वर्षों के दौरान पोलियों के मामले नहीं पाये गये
भारत ने 27 मार्च 2014, डब्ल्यूएचओ द्वारा पूरे दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र के साथ-साथ पोलियो मुक्त प्रमाण पत्र प्राप्त किया। भारत में पोलियो के आखिरी मामले की रिपोर्ट के बाद से जनवरी 2017 तक पिछले छः वर्षों में पोलियों के मामले दर्ज नहीं किए गए। देश में पोलियो रोकने को सबसे कठिन माना जाता था, लेकिन पोलियों के मामले दर्ज़ न होना, मील का पत्थर हैं, जो कि मज़बूत निगरानी प्रणाली, गहन टीकाकरण अभियान और लक्षित सामाजिक गतिशीलता प्रयासों के महत्व को दर्शाता है, लेकिन जब तक रोग समाप्त नहीं हो जाता, तब तक भारत को सतर्क रहना चाहिए। यही कारण है, कि पूरे देश में राष्ट्रीय प्रतिरक्षण दिवस के अवसर पर बच्चों को टीका लगाया जाता है, ताकि बाल्यावस्था में प्रतिरक्षा के उच्च स्तर को बनाए रखा जा सकें।
विश्व पोलियो की स्थिति
आज, केवल तीन देश अफगानिस्तान, नाइजीरिया और पाकिस्तान हैं, ‘जहां जंगली पोलियोवायरस का संचारण दिखाई दे रहा है’। वर्ष 1988 के बाद अनुमानित 3,50,000 मामले से वर्ष 2016 तक सिर्फ़ 37 मामले पाये गये है, इनमें 99.9% की कमी हुयी है।
पोलियो के बारे में
पोलियोमाइलाइटिस (पोलियो) अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो कि मुख्यत: छोटे बच्चों (पांच वर्ष से कम आयु) को प्रभावित करता है। विषाणु मुख्यत: मल-मौखिक मार्ग के माध्यम या किसी सामान्य वाहन (उदाहरण के लिए दूषित पानी या भोजन) द्वारा व्यक्ति-से-व्यक्ति में फैलता है, और आंत में दोगुना हो जाता है, वहां से यह तंत्रिका तंत्र में पहुँच जाता है तथा पक्षाघात पैदा करता है।
लक्षण
प्रारंभिक लक्षण बुखार, थकान, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन की अकड़न और अंगों में दर्द है। दो सौ में से एक संक्रमण अपरिवर्तनीय पक्षाघात (आमतौर पर पैरों में) उत्पन्न करता है। जिन्हें पक्षाघात हो चुका हैं, जब उनकी श्वास की मांसपेशियों को अप्रभावी/ठीक से कार्य नहीं करती हैं तब उनमें से पांच से दस प्रतिशत की मृत्यु हो जाती है।
रोकथाम
कोई उपचार नहीं है, लेकिन सुरक्षित एवं प्रभावी टीके उपलब्ध हैं। प्रतिरक्षण के माध्यम से पोलियो को रोका जा सकता है। पोलियो का टीका कई बार दिया जाता है। यह हमेशा बच्चे के जीवन की सुरक्षा करता है। पोलियो खत्म करने की रणनीति, जब तक कि रोग का संचारण समाप्त न हो जाएं, तब तक हर बच्चे के टीकाकरण द्वारा संक्रमण रोकने पर आधारित है तथा विश्व पोलियो मुक्त है। संक्रमण रोकने के लिए दो प्रकार के टीकें हैं।
ओपीवी (ओरल पोलियो वैक्सीन): संस्थागत प्रसव के दौरान इसे जन्म के समय मुख से दिया जाता है, फिर प्राथमिक तीन खुराकों को छह, दस और चौदह सप्ताह और एक बूस्टर खुराक सौलह से चौबीस महीने की आयु में दी जाती है।
इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन (आईपीवी): इसे डीपीटी की तीसरी खुराक के साथ-साथ सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत अतिरिक्त खुराक के रूप में दिया जाता है।
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस
भारत से पोलियो समाप्त हो चुका है, लेकिन रोग के आयात का ज़ोखिम अभी भी तीन देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया) से बना हुआ हैं, जहां पोलियोवायरस अभी भी संचारित है, देश की ज़रूरत वैश्विक पोलियो उन्मूलन तक जनसंख्या प्रतिरक्षा और संवेदनशील निगरानी बनाए रखना है। जिसे निरंतर उच्च गुणवत्ता वाली पोलियो निगरानी के साथ- साथ राष्ट्रीय और उप राष्ट्रीय पोलियो राउंड के माध्यम से बनाए रखा गया है।
Vishwa polio divas par Nibandh
पोलियो एक संक्रामक रोग है जो वायरस के द्वारा फैलता है पोलियो का वायरस मुख के द्वारा मानव शरीर में प्रवेश करता है और ऑतों काेे प्रभावित करता है इस बीमारी को पोलियोमाइलाइटिस भी कहा जाता है इस बीमारी का असर अधिकतर बच्चों पर होता है अधिकतर देश इस बीमारी से मुक्त हो चुके हैं भारत को भी इस बीमारी से 2012 में मुक्त घोषित कर दिया गया था लेकिन उसके बाद भी पोलियो के कुछ मामलेे सामने आये अगर भारत में वर्ष 2014 तक कोई मामला सामने नहींं आया तो भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आधिकारिक रूप से भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया जाएगा
24 अक्टूबर के दिन को पोलियो दिवस इसलिये मनाया जाता है क्योंकि इस दिन पोलियो की वैक्सीन का आविष्कार करने वाली टीम के प्रमुख जोनास सॉक का जन्म हुआ था इस बैक्सीन की कुछ बूॅदें ही रोगी के लिए काफी कारगर सावित होती हैंं
पोलियो मुक्त देश बनाने के लिए भारत में अनेकों स्कीम चलाई जा रही है हर बस स्टॉप, हर रेलवे स्टेशन आदि जगहों पर पोलियो की बैक्सीन पिलाने की व्यवस्था है “हर बच्चा हर बार” और ‘दो बूँद जिन्दगी की’ जैसेे स्लोगन के द्वारा लोगों में पोलियो के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की पूरी कोशिश है कि प्रत्येक बच्चे को हर बार पोलियो की दवा अवश्य पिलायी जाए इसलिए घर-घर जाकर भी बच्चों को पोलियो की दवा पिलायी जाती है ।
Explanation:
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पोलियो के बारे में 150 शब्द।
Explanation:
पोलियो एक बहुत ही घातक संक्रामक रोग हैं, जिसके कारण छोटे-छोटे शिशुओं को पक्षाघात की समस्या झेलनी पड़ सकती है। इसके विषाणु दूषित पानी व खाने में प्रवाह करके शरीर के अंदर चले जाते है और काफी तेजी से फैल कर पीड़ित रोगी के तंत्रिका तंत्र को नाकाम कर देते है।
इसके लक्षणों में सर दर्द, अकड़न, जोड़ों में दर्द, बुखार, जी मिचलाना आदि शामिल है। सबसे पहले जोनस साल्क ने इसके टीके का निर्माण किया था। आज भारत में पिछले 6 सालों से पोलियो की एक भी घटना सामने नहीं आई, जिससे भारत आज पोलियो मुक्त देश बन चुका है।