प्र.10 भञ्जूषात्अव्ममऩदानन चचत्वा रयक्तस्थानानन ऩूयमत|(कोष्ठक से उचचत अव्मम चनु कय
रयक्तस्थान ऩूनत् कीन्जए) 1x5=5
मञ्जूषा – ( एव, ऩुयत:, सदा, र्वना, तथा )
(1) र्वर्दमारमस्म ---------- एकभ ्उर्दमानभ ्अन्स्त |
(2) सत्मभ ्-------- जमते |
(3) स् मथा चचततमनत ------------ आचयनत |
(4) र्वर्दमाॊ --------- जीवनॊ वथृ ा |
(5) --------- बगवततॊ बज |
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sorry I am not to good in sanskrit
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