History, asked by sorenvicky62, 9 months ago

प्राचीन भारत के धार्मिकेतर साहित्य पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ?​

Answers

Answered by mickey0070
8

Explanation:

धार्मिक साहित्य

धार्मिक साहित्य को भी दो भागों में बांटा गया है–

ब्राह्मण साहित्य

ब्राह्मणेतर साहित्य

ब्राह्मण साहित्य

ब्राह्मण साहित्य में वेद,ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक,उपनिषद, वेदांग, सूत्र, महाकाव्य, स्मृतिग्रथ,पुराण आदि आते हैं।

वेद

ब्राह्मण साहित्य में सर्वाधिक प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद है। ऋग्वेद के द्वारा प्राचीन आर्यों के धार्मिक, सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक जीवन का परिचय मिलता है।सबसे बाद का वेद अथर्ववेद है।

वेदों की संख्या चार है

ऋग्वेद

यजुर्वेद

सामवेद

अथर्ववेद।

चारों वेदों के सामूहिक रूप को ही संहिता कहते हैं।

* ऋगवेद

वेदों में सबसे महत्वपूर्ण वेद ऋग्वेद है।

ऋचाओं के क्रमबद्ध ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है।

ऋग्वेद के दो ब्राह्मण ग्रन्थप हैं- ऐतरेय और कौषीतकी (शांखायन)।

इसमें 10 मंडल,1028 सूक्त तथा 10,462 ऋचाएँ हैं।

* यजुर्वेद

सस्वर पाठ के लिए मंत्रों तथा बलि के समय अनुपालन के लिए नियमों का संकलन ही यजुर्वेद कहलाता है।

इसके पाठकर्ता को अध्वर्यु कहते हैं।

यह वेद गद्य-पद्य दोंनों में है।

यजुर्वेद के दो भाग हैं-शुक्ल यजुर्वेद तथा कृष्ण यजुर्वेद।

यजुर्वेद के दो ब्रह्मण ग्रंथ हैं-शतपथ एवं तैत्तिरीय।

* सामवेद

सामवेद को गीतों का संग्रह भी कहा जाता है।

सामवेद को भारतीय संगीत का जनक कहा जाता है।

इसके पाठकर्ता को उद्रातृ कहते हैं।

सामवेद गायी जा सकने वाली ऋचाओं का संकलन है।

सामवेद का ब्राह्मण ग्रन्थ -पंचविश है।

* अथर्ववेद

इस वेद में रोग, निवारण, तंत्र-मंत्र,जादू-टोना,शाप,वशीकरण,आर्शीवाद,स्तुति,प्रायश्चित,औषधि, अनुसंधान,विवाह, प्रेम, राजकर्म, मातृभूमि-महात्म्य आदि विविध विषयों से सम्बद्ध मंत्र तथा सामान्य मनुष्यों के विचारों, विश्वासों, अंधविश्वाशों आदि का वर्णन है।

इस वेद के रचयिता अथर्वा ऋषि को माना जाता है।

अथर्ववेद में सभा एवं समिति को प्रजापति की दो पुत्रियां कहा गया है।

अथर्ववेद कन्याओं के जन्म की निंन्दा करता है।

अथर्ववेद का ब्रह्मण ग्रन्थ गोपथ है।

* ब्राह्मण ग्रन्थ

यज्ञ के विषयों का प्रतिपादन करने वाले ग्रन्थ ब्राह्मण ग्रन्थ कहलाते हैं।

ऐतरेय ब्राह्मण में राज्याभिषेक के नियम तथा कुछ प्राचीन राजाओं का उल्लेख है।

शतपथ ब्राह्मण में गांधार ,शल्य , कैकेय, कुरु,पांचाल ,कोशल,विदेह राजाओं का उल्लेख है।

* आरण्यक

आरण्यक ब्राह्मण ग्रन्थों के अन्तिम भाग हैं जिसमें दार्शनिक एवं रहस्यात्मक विषयों का विवरण है।

आरण्यक चिन्तनशील ज्ञान के पक्ष को प्रतिपादित करते हैं तथा जंगल में पढे जाने के कारण इन्हें आरण्यक कहा जाता है।

आरण्यक चिन्तनशील ज्ञान के पक्ष को प्रतिपादित करते हैं। जंगल में पढे जाने के कारण इन्हें आरणयक नाम प्राप्त हुआ।

आरण्यक कुल 7 है।

ऐतरेय

शांखायन

तैत्तिरीय

मैत्रायणी

माध्यन्दिन वृहदारण्यक

तल्वकार ,छान्दोग्य।

* उपनिषद्

उपनिषद आरण्यकों के पूरक हैं तथा भारतीय दर्शन के प्रमुख स्रोत हैं। वैदिक साहित्य के अंतिम भाग होने के कारण इन्हें वेदांत भी कहा जाता है।

उपनिषद उत्तरवैदिक काल की रचनाएंँ हैं।

उपनिषदों में आर्यों के दार्शनिक विचारों की जानकारी मिलती है। इन्हें पराविद्या या आध्यात्म विद्या भी कहा जाता है।

उपनिषदों में आत्मा,परमात्मा, तथा पुनर्जनम की अवधारणा मिलती है।

उपनिषदों की कुल संख्या 108 है लेकिन प्रमाणिक उपनिषद 12 हैं।

ईश

केन

कठ

प्रश्न

मुण्डक

माण्डुक्य

तैत्तिरीय

ऐतरेय

छान्दोग्य

कौषीतकी

वृहदारण्यक

श्वेताश्वतर

Answered by ghanshyam1aug69
4

Answer:

ब्राह्मण साहित्य में वेद,ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक,उपनिषद, वेदांग, सूत्र, महाकाव्य, स्मृतिग्रथ,पुराण आदि आते हैं। ब्राह्मण साहित्य में सर्वाधिक प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद है। ऋग्वेद के द्वारा प्राचीन आर्यों के धार्मिक, सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक जीवन का परिचय मिलता है। सबसे बाद का वेद अथर्ववेद है।

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