पूर्वाग्रह भेदभाव के बिना एवं भेदभाव पूर्वाग्रह के बिना कर सकता है I टिप्पणी कीजिए I
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"पूर्वाग्रह बिना भेदभाव के रूप में भी अस्तित्व में रह सकता है उसी तरह बिना पूर्वाग्रह के भेदभाव प्रदर्शित किया जा सकता है। जहां तक देखा गया है कि दोनों साथ-साथ ही पाये जाते हैं। जहां भी पूर्वाग्रह एवं भेदभाव साथ-साथ होता है वहां एक ही समाज के समूहों में संघर्ष होने की संभावना बहुत अधिक हो सकती है।
हमारे समाज में हमने देखा है कि लिंग, धर्म, समुदाय, जाति पर आधारित बहुत से पूर्वाग्रह और भेदभाव चले आ रहे हैं। शारीरिक विकलांगता या किसी असाध्य बीमारी को लेकर समाज के भीतर बहुत से पूर्वाग्रह व्याप्त हैं जिनके कारण अनेक दुखद घटनायें देखने को मिलती हैं। समाज में व्याप्त भेदभाव को तो विशिष्ट प्रयासों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है, मिटाया जा सकता है लेकिन पूर्वाग्रह के संज्ञानात्मक एवं भावात्मक घटकों को बदल पाना बहुत ही कठिन है।
हमारे स्वयं के समाज में लिंग, धर्म, समुदाय जाती शारीरिक विकलांगता एवं बीमारियों जैसे एड्स पर आधारित पूर्वाग्रह युक्त या पूर्वाग्रह रहित भेदभाव की अनेक दुखद घटनाओं को देखा जा सकता है। अनेक स्थितियों में भेदभावपूर्ण व्यवहार विविध आयामों के द्वारा प्रतिबंधित या नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन पूर्वाग्रह के संज्ञानात्मक एवं भावात्मक घटकों को परिवर्तित करना बहुत कठिन है।
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