प्र01) सच है, ववपवि जब आती कायर को ही दिहलती है,
सूरमा नही विचलित होते, क्षण एक न ही धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं, कााँटों में राह बनाते हैं।
मह स न कभी उफ कहते है , संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सह हैं, उदुग निरत रहते हैं,
शुलो का मूल नसाते है , बढ़ खुद विप्पती पर छते है।
(क) विपत्ति से कौन डरते हैं?
1. सूरमा
2. कायर
3. साहसी
4. वीर
(ख) ‘कााँटों में राह बिछने' का आशय क्या है –
1. कााँटे हटाना
2. रास्ता बनाना
3. मुसीबतों पर विजय पाना
4. मुश्किलों से बच निकलना
(ग) कव्यांश का उपयुक्त शीषक क्या होगा –
1. कायर
2. वीरता
3. संकट का चरण
4. उदुगनिरत व्यक्ति
(घ) इस पद्दयांश से आपको क्या सीख मिलती है?
(ड़) ‘कायर’ का विलोम शब्द क्या होगा?
प्र02) मााँ, ये लहरें भी गाती हैं
कल-कल, छल-छल क मधुर स्वर में
अपना गीत सनाती हैं।
मैं कब से बुला रही इनको
पर मेरे पास नहीं आती हैं।
कुछ खेल खेलती इसलिए
तट तक आकर फिर भाग जाती।
मैं चलूं साथ खेली इनके
देखो ये मुझे बुलाती है।
मााँ, ये लहरें भी गाती हैं।
(क) लहरें क्या और किस प्रकार सुनाती हैं।
1. कल-कल मधुर गीत
2. कटुवचन
3. मधुभाषा
(ख) कौन किसे बुला रहा है।
1. मां बच्चे को
2. कवि लहरों को
3. गीत हमें
(ग) ‘तट’ शब्द का पर्यावाचि लिखिए।
1. किनारा
2. अंबर
3. नदी
(घ) ‘मधुर’ शब्द का विलोम लिखिए।
1. कटु
2. कड़वा
3. मधु
(ड़) पद्द्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
1. कवि और उसकी मां
2. लहरें
3. सागर
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