प्रबन्ध के क्षेत्र में हेनरी फेयोल के योगदान का वर्णन कीजिए।
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आधुनिक क्रियात्मक या प्रशासनिक प्रबन्ध के सिद्धान्तों के विशेषज्ञ हेनरी फेयोल का प्रबन्ध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। फेयोल ने फ्रांस की कम्पनी में अपना सम्पूर्ण कार्यकारी जीवन व्यतीत किया और अपने इस लम्बे अनुभव के आधार पर प्रबन्ध एवं उससे सम्बन्धित विषयों पर कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें 1916 में फ्रांसीसी भाषा में प्रकाशित पुस्तक ‘Administration Industrielle at Generale’ प्रमुख है और इसमें प्रबन्ध के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट किया गया।
प्रबन्धकीय क्रियाओं के सम्बन्ध में फेयोल ने अपने विचारों को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया है –
प्रबन्धकीय योग्यता एवं प्रशिक्षण –
प्रबन्ध के विकास के क्रम में सर्वप्रथम हेनरी फेयोल द्वारा प्रबन्धकों की योग्यता और उनके प्रशिक्षण को प्रभावित किया। उनके अनुसार एक – एक : प्रबन्धक में शारीरिक, मानसिक, सदाचार, शैक्षणिक, प्राबधिक एवं अनुभव सहित छः विशेषताओं का होना आवश्यक है।
प्रबन्ध के तत्व –
हेनरी फेयोल के अनुसार प्रबन्ध प्रक्रिया में नियोजन, संगठन, निर्देशन, समन्वय और नियन्त्रण पांच तत्वों का होना आवश्यक है। उनके अनुसार नियोजन प्रबन्ध सबसे प्रमुख कार्य है, क्योंकि इसी के आधार पर सभी कार्यों की रूपरेखा तैयार की जाती है। उचित नियोजन के अभाव में किसी उपक्रम में कार्यों के निष्पादन में संशय बना रहता है। नियोजन द्वारा निर्धारित कार्यों के निष्पादन के लिये संगठन संरचना की। आवश्यकता होती है जिसके द्वारा कार्य का विभिन्न व्यक्तियों में वितरण किया जाता है। कार्य वितरण के बाद अधीनस्थों को उचित निर्देश की व्यवस्था की जाती है। नियन्त्रण की आवश्यकता कार्य को नियोजन के अनुसार सम्पादित कराने के लिए होती है।
प्रबन्ध के सिद्धान्त –
हेनरी फेयोल द्वारा प्रबन्ध के क्षेत्र में विकास प्रबन्ध के 14 सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया जो प्रबन्धकों को उनके कार्यों के निष्पादन में सहायता प्रदान करते हैं। फेयोल के सिद्धान्तों में कार्य विभाजन, अधिकार एवं उत्तरदायित्व, अनुशासन, आदेश की एकता, निर्देश की एकता, सामूहिक हितों के लिये व्यक्तिगत हितों का समर्पण, कर्मचारियों को प्रतिफल, केन्द्रीयकरण एवं विकेन्द्रीयकरण, सोपान श्रृंखला, व्यवस्था, समता, कर्मचारियों का स्थायित्व, पहल क्षमता एवं सहयोग की भावना शामिल है।
फेयोल ने प्रबन्ध समस्या के शोध कार्य हेतु औद्योगिक संगठन की समस्त क्रियाओं को छ: वर्गों में विभाजित किया है। ये क्रियायें उत्पाद, क्रय – विक्रय एवं विनिमय, पूंजी की प्राप्ति एवं उसके अधिकतम उपयोग, सम्पत्ति तथा माल की सुरक्षा, स्टॉक मूल्यांकन एवं आर्थिक चिट्ठा निर्माण और प्रबन्धकीय क्रियाओं (नियोजन, संगठन, निर्देशन, समन्वय एवं नियंत्रण) से सम्बन्धित होती है।
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