प्रकृति के साथ मनुष्य की छेड़छाड़ का परिणाम है प्राकृतिक आपदाएं - इस विषय पर एक अनुच्छेद लिखो
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प्राकृतिक आपदाएं मनुष्य की प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ का ही परिणाम है, इस बात में कोई संशय नहीं। आज मनुष्य अपनी महत्वाकांक्षा में और विकास की अंधी दौड़ में इतना मगन हो गया है कि उसने प्रकृति की परवाह करना ही छोड़ दिया है। वनों का निरंतर काटा जाना और कंक्रीट के जंगलों का विस्तार इस बात का सबूत है। वन भूमि के कटाव को रोकते हैं और बाढ़ की संभावना को कम करते हैं। अब समय-असमय अनेक नदियों में बाढ़ आती जाती है इसका कारण यही है कि हमने अपने वनों को नष्ट कर दिया है तो नदियों का पानी भी अनियंत्रित हो गया है, वर्षा का पानी भी जाये तो जाये कहाँ और उसकी परिणिति बाढ़ के रूप में होती है।
ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पूरे पूरे विश्व में छाई हुई है। इसका कारण भी मनुष्य द्वारा बनाये इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों द्वारा उत्सर्जित हानिकारक गैसे हैं जो वायुमंडल में एकत्रित होकर वायुमंडल के ताप को बढ़ा देती हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर निरंतर पिघलते जा रहे हैं। पहाड़ छोटे होते जा रहे हैं। शहरों में हरियाली कम होती जा रही है। वायु मंडल अस्वच्छ हो रहा है।
समुद्र में भी समय-असमय में तूफान आ रहे हैं। इसका कारण भी यही है कि समुद्री जीव भी निरंतर कम होते जा रहे हैं जो समुद्र के पर्यावरण को संतुलित करके रखते हैं। मनुष्य अपनी महत्वाकांक्षा में उन जीवों का या तो शिकार कर रहा है या फिर मनुष्य द्वारा किए गए कार्यों द्वारा उन जीवों को नुकसान पहुंच रहा है। इसलिए मनुष्य द्वारा प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण प्राकृतिक आपदाएं हो रही है इसमें कोई संशय नहीं।