Hindi, asked by lakhandabhshwjhiy, 2 months ago

प्रकृति रेव' इत्यस्य पदस्य सन्धि विचछेदः अस्ति अ) प्रकृते एव ब) प्रकृति एवे स) प्रकृति एक 'अस्मान्नगरात् इत्यस्य पदस्य सन्धि विचछेदः अस्ति दो प्रकृतो एक​

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Answered by rupeshpradhan07
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Answer:

सन्धि तीन प्रकार की होती है|

(क) स्वर सन्धि- जब पहले शब्द का अन्तिम स्वर दूसरे शब्द के आदि (प्रारम्भिक) स्वर से मिलता है तो स्वर सन्धि होती है, जैसे–रथ + आरूढः = रथारूढः।।

(ख) व्यंजन सन्धि- जब पहले शब्द का अन्तिम व्यंजन दूसरे शब्द के आदि (प्रारम्भिक) स्वर या व्यंजन से मिलता है तो व्यंजन सन्धि होती है, जैसे-वाक् + ईशः = वागीशः या सत् + चित् = सच्चित्।

(ग) विसर्ग सन्धि- जब पहले शब्द के अन्त में आया हुआ ‘:’ (विसर्ग) दूसरे शब्द के आदि (प्रारम्भ) में आये हुए स्वर या व्यंजन से मिलता है, तो विसर्ग सन्धि होती है, जैसे—छात्रः + तिष्ठति = छात्रस्तिष्ठति।

स्वर सन्धि

स्वर के साथ स्वर के मिलने से (स्वर + स्वर) स्वर में जो परिवर्तन (विकार) होता है, उसे स्वर या अच् सन्धि कहते हैं। इस सन्धि में धन (+) चिह्न से पूर्व व्यंजन में स्वर मिला होता है। इसीलिए व्यंजन में हलन्त () का चिह्न लगा हुआ नहीं होता है; जैसे-धन + अर्थी = धनार्थी। इसमें ‘अ’ के बाद ‘अ’ आया है। ‘धन’ के ‘न’ में ‘अ’ मिला हुआ है, इसलिए उसमें हल् का चिह्न नहीं है। ,

स्वर सन्धि प्रधानतया छः प्रकार की होती है-

(1) दीर्घ सन्धि,

(2) गुण सन्धि,

(3) वृद्धि सन्धि,

(4) यण् सन्धि,

(5) अयादि सन्धि,

(6) पूर्वरूप सन्धि ।

(1) दीर्घ सन्धि (सूत्र-अकः सवर्णे दीर्घः)

नियम- यदि (ह्रस्व या दीर्घ) अ, इ, उ, ऋ, लू स्वरों के बाद (ह्रस्व या दीर्घ) समान स्वर आते हैं तो उनके स्थान पर दीर्घ स्वर, अर्थात् आ, ई, ऊ, ऋ, ऋ (लू नहीं) हो जाता है।

Explanation:

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