History, asked by angel4483, 11 months ago

प्रश्न 15.
राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान समय-समय पर क्रांतिकारी नेताओं व कृत्यों का उभार क्यों हुआ?

Answers

Answered by shishir303
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भारत में क्रांतिकारी आंदोलन के अहिंसक तरीके हमेशा प्रभावी नहीं रहे। अंग्रेजों ने नरम दल के नेताओं के शांतिपूर्ण विरोध का कई बार दमन भी किया। अंग्रेजों ने नरम दल के लोगों की कई बार उपेक्षा भी की और अत्याचारों की पराकाष्ठा भी की।

इस कारण जब-जब भारत में ऐसे अहिंसक या उदारवादी आंदोलन निष्प्रभावी हुए तो तब-तब भारत में अनेक क्रांतिकारी युवाओं ने अंग्रेजों को सबक सिखाने के लिए क्रांतिकारी व उग्र तरीकों को अपनाया।

उदाहरण के लिए बंगाल का विभाजन हुआ तो उदारवादी नेताओं द्वारा हड़ताल और बहिष्कार से बात नहीं बनी। तब बंगाल के कुछ नौजवानों ने छोटे-छोटे गुट बनाकर हथियार चलाना सीखा और अंग्रेज7 अफसरों पर हमले करने शुरू किए,  सरकारी खजाने को लूटा। इस प्रकार उन्होंने अपने क्रांतिकारी हिंसक व उग्र तरीकों से अंग्रेजों में हड़कंप मचा दिया। फलस्वरूप अंग्रेजों को मजबूर होकर बंगाल के विभाजन को निरस्त करना पड़ा।

जलियांवाला बाग हत्याकांड की भी क्रांतिकारी प्रतिक्रिया हुई और शहीद उधम सिंह ने लंदन जाकर जनरल ओ‘ डायर को मौत के घाट उतारा। जलियांवाला बाग हत्याकांड ने अनेक क्रांतिकारियों को जन्म दिया। चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु,7 आदि इसके उदाहरण हैं।

लाला लाजपत राय की अंग्रेजों द्वारा लाठीचार्ज में हुई मौत से देश में उग्र आंदोलन और क्रांतिकारी कृत्यों की शुरुआत हो गयी। भगत सिंह आदि ने अंग्रेज अफसर साण्डर्स की हत्या कर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया।

सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज की कमान संभाल ली थी, और वो भी भारत की आजादी के लिये अंग्रेजों को सबक सिखाने के लिये भरसक प्रयत्न कर रहे थे।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान समय-समय पर क्रांतिकारी नेताओं व कृत्यों का उभार होता रहा।

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