प्रश्न 17.
शारंगधर का योगदान बताइये।
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‘शारंगधर’ प्राचीन भारत के एक विद्वान संगीतज्ञ थे। ‘शारंगधर’ का योगदान संगीत के क्षेत्र में रहा है। उन्होंने एक संगीत पद्धति तैयार की थी जिसे ‘शारंगधर पद्धति’ के नाम से जाना जाता है।
‘शारंगधर’ रणथंबोर के राजा हमीर के गुरु राघव देव के पोते थे। उनके पिता का नाम दामोदर था। शारंगधर अपने समय में संगीत के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध नाम थे। सारंगधर ने ‘हमीर रासो’ की रचना की तथा ‘शारंगधर संहिता’ जैसे संगीत से संबंधित ग्रंथों की रचना की है। ‘शारंगधर संहिता’ में संगीत के लुप्तप्राय ग्रंथ ‘गान्धर्वशास्त्र’ का वर्णन किया गया है। ‘शारंगधर संहिता’ में योग जैसे विषयों के बारे में भी विवेचन किया गया है। अष्टांग योग और उसके वैज्ञानिक स्वरूप का विवेचन प्रस्तुत किया गया है तथा यह बताया गया है कि योग से स्वास्थ्य हेतु लाभ कैसे प्राप्त किया जा सकता है और उसे दैनिक जीवन में कैसे अपनाया सकता है। शारंगधर ने अपने ग्रंथों में सूक्तियों के माध्यम से प्राचीन ज्ञान को वैज्ञानिक तरीके से प्रस्तुत करने की कोशिश की है।
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