प्रतिबिम्ब का आकार हमेशा वस्तु के आकार से छोटा होता है
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hii mate
प्रकाशिकी में जब किसी वस्तु से निकलने वाली किरणें प्रकाशीय युक्ति/युक्तियों से निकलने के बाद वास्तव में किसी बिन्दु पर मिलतीं हैं तो उस बिन्दु पर वास्तविक प्रतिबिम्ब (real image) बनता है। जिस तल में किरणें मिल रहीं हैं, उस तल पर कोई पर्दा (स्क्रीन) रखा जाय तो प्रतिबिम्ब उस पर्दे पर दिखेगा। वास्तविक प्रतिबिम्ब के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं-
(१) सिनेमा के परदे पर दिखने वाली प्रतिबिम्ब वास्तविक है। यह प्रक्षेपक से आती है।
(२) कैमरा के डिटेक्टर (फिल्म, या अन्य चीज) पर बनने वाली प्रतिबिम्ब ,
(३) आँख के रेटिना पर बनने वाली प्रतिबिम्ब भी वास्तविक है। आंख के अन्दर एक फोक्स दूरी बदलने में सक्षम उत्तल लेंस होता है।
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