प्रत्येक सुन्दर प्रभात सुन्दर चीजें लेकर उपस्थित होता है, पर यदि हमने
कल तथा परसों के प्रभात की किरणों से लाभ नहीं उठाया तो आज के
प्रभात से लाभ उठाने की हमारी शक्ति क्षीण होती जायेगी और यही
रफ्तार रही तो फिर हम इस शक्ति को बिल्कुल ही गवाँ बैठेंगे। किसी
विद्वान ने ठीक ही कहा है, खोई हुई सम्पत्ति प्राप्त की जा सकती है
भूला हुआ ज्ञान अध्ययन से प्राप्त हो सकता है, गवाया हुआ स्वास्थ्य
लौटाया जा सकता है, परंतु नष्ट किया हुआ समय सदा के लिए चला
जाता है। वह बस स्मृति की चीज हो जाता है और अतीत की एक छाया
मात्र रह जाता है। संसार के महान विचारकों को चिंता रहती थी कि
उनका एक क्षण भी व्यर्थ न चला जाए। हमको भी अमूल्य समय को
नष्ट होने से बचाने के लिए कुछ भी उठा न रखना चाहिए। एक-एक
क्षण का सदुपयोग करनेवाले इन विचारकों का जीवन हजारों नवयुवकों
के जीवन का कितना उपहास कर रहा है। ये विचारक समय के
छोटे-छोटे टुकड़ों को बचाकर जिस तरह महान हुए हैं, हमको भी उनकी भाँति ही समय का मूल्य जानना चाहिए।
क) 'प्रत्येक सुन्दर प्रभात' से लेखक का क्या तात्पर्य है?
(ख) खोई हुई संपत्ति तथा भूला हुआ ज्ञान कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
(ग) अमूल्य समय को नष्ट होने से कैसे बचाया जा सकता है?
(घ) हजारों नवयुवक उपहास के पात्र क्यों बने हुए हैं?
ङ) इस अनुच्छेद का उचित शीर्षक दीजिए?
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