Hindi, asked by Vkvivek9687, 1 year ago

प्रदोष व्रत तिथि, विधि,अर्थ, महत्व, कथा – २०१८ पूजा का...

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Answered by bhatiamona
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प्रदोष व्रत तिथि, विधि,अर्थ, महत्व, कथा – २०१८ पूजा का

Answer:

प्रदोष व्रत

हिन्दू धर्म के अनुसार हर व्रत का अपना अलग ही महत्व है, उन सब में से एक है प्रदोष व्रत.  

प्रदोष व्रत भगवान शिव के कई व्रतो मे से एक है जो कि, बहुत फलदायक माना जाता है. इस व्रत को कोई भी स्त्री जो अपनी मनोकामना पूरी करना चाहती है कर सकती है.

प्रदोष व्रत 2018 तिथि

14 जनवरी प्रदोष व्रत 17:57 to 20:37    

प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत हर दिन का अलग अलग महत्व है |

रविवार को = भानुप्रदोष, जीवन में सुख-शांति, लंबी आयु के लिए किया जाता है.

सोमवार को = ईच्छा के अनुसार फल प्राप्ति तथा सकरात्मकता के लिए.

मंगलवार को = भौम प्रदोष के रूप में मंगलवार के दिन स्वास्थ्य सबंधी समस्याओं व समर्धि के लिए होता है.

बुधवार को = इसे सौम्यवारा प्रदोष भी कहा जाता है यह शिक्षा व ज्ञान प्राप्ति के लिए किया जाता है.

गुरुवार को = गुरुवारा प्रदोष से जाना जाता है, यह पितरो से आशीर्वाद तथा शत्रु व खतरों के विनाश के लिए किया जाता है.

शुक्रवार को = भ्रुगुवारा प्रदोष कहा जाता है. धन, संपदा व सोभाग्य , जीवन में सफलता के लिए किया जाता है.

शनिवार को = शनि प्रदोष नौकरी में पदोन्नति की प्राप्ति के लिए किया जाता है.

प्रदोष व्रत की पूजा विधि प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है. यह व्रत निर्जल अर्थात् बिना पानी के किया जाता है . त्रयोदशी के दिन, पूरे दिन व्रत करके प्रदोष काल मे स्नान आदि कर साफ़ सफेद रंग के वस्त्र पहन कर पूर्व दिशा में मुह कर भगवान की पूजा की जाती है.

• सबसे पहले दीपक जलाकर उसका पूजन करे.

• सर्वपूज्य भगवान गणेश का पूजन करे.

• तदुपरान्त शिव जी की प्रतिमा को जल, दूध, पंचामृत से स्नानादि कराए . बिलपत्र, पुष्प , पूजा सामग्री से पूजन कर भोग लगाये .

• कथा कर ,आरती करे.

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