प्रवश्वासपात्र समत्र ही जीवन की
औषधध है। Explanaion
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बेगूसराय। किशोरावस्था मनुष्य के जीवन में दो रूप में आती है। एक को बसंत काल और दूसरे को जीवन का कठिन काल कहते हैं। बसंत काल इस लिए कि इस अवस्था में सौंदर्य का उपासक और महानता का पुजारी बनाता है तो वहीं, यह अवस्था जिंदगी की राह चुनने के लिए सबसे कठिन समय भी मानी जामह है।
उक्त बातें सोमवार को बरौनी रिफाइनरी टाउनशिप स्थित डीएवी में आयोजित मानसिक स्वास्थ्य और किशोरावस्था कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्राचार्य मिस अंजली ने कही। उन्होंने कहा कि जीवन के इस काल में जहां कई सपने एक साथ जन्म लेते हैं, तो वहीं उन सपनों को पूरा करने के लिए भी किशोर कुछ कर गुजरने की भरपूर कोशिश करते हैं। अगर इस समय में किशोरों का सही मार्गदर्शन न किया जाए तो वह गलत रास्ता भी अख्तियार कर लेते हैं। उन्होंने बताया कि जीवन के इस सबसे सुंदर और कठिन समय में हमें खुद पर कैसे कंट्रोल करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों के इस आयु में अपने, खासकर माता-पिता, शिक्षक, दोस्त और सबसे बढ़कर समाज काफी प्रभावित करते हैं। प्राचार्य ने बच्चों को जीवन के इस काल में खुद को निखारने, कुछ अलग करने की ललक को मजबूती प्रदान करने के लिए नि:संकोच अपने शिक्षकों अभिभावकों से सलाह लेने की बात कही। साथ ही उन्होंने गलत संगत से दूर रहने रहने और अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाने पर बल दिया। इस अवसर पर स्कूल के वर्ग नवम एवं दशम के सभी छात्र-छात्राएं व शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित .
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