पुस्तक मेला का विज्ञापन बनाइए
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विश्व पुस्तक मेला २०१० , नई दिल्ली में ३० जनवरी , २०१० से प्रगति मैदान में आरंभ हुआ है। यह मेला ७ फरवरी , २०१० तक चलेगा। यहां एक दर्जन से अधिक हॉल और खुले में टेंट में लाखों पुस्तकों का प्रदर्शन किया गया। यह १९वां विश्व पुस्तक मेला नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) द्वारा एक वर्ष के अंतराल पर आयोजित किया जाता है। इस मेले को इस वर्ष राष्ट्रकुल खेल को समर्पित किया गया है। कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम एक पूरा पवेलियन है, जिसमें खेल से जुड़ी दुनियाभर की किताबें हैं।
[1] इसके लिए कैटलॉग भी बनाया गया है, ताकि बाद में भी उन पुस्तकों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सके और उसका लाभ उठाया जा सके। भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू पर अलग से पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं। इसके तहत नेहरू पर लिखी दुनियाभर की किताबों को शामिल किया गया है। मेले में एक बाल पवेलियन भी है, जिसमें अनेक गैर-लाभ संगठन ( एन.जी.ओ ) द्वारा बच्चों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने वाली गतिविधियां हो रही हैं। [1]
इस बार कई विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिनमें विशेष पवेलियन में विशेष पुस्तकों मिलेंगीं। युवा और बच्चों की विभिन्न गतिविधियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई, कई एनजीओज और स्कूलों के सहयोग से सुबह के समय बच्चों के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम करते हैं। अपराह्न् ३ से ५ बजे के बीच युवाओं के लिए कार्यक्रम होते हैं। इस दौरान खेल की प्रसिद्ध हस्तियां यहां आएंगी और युवाओं को प्रोत्साहित करेंगी। प्रकाशकों के लिए पुस्तक संबंधी कार्यक्रमों के आयोजन के लिए तीन मंच हैं। ये तीनों मंच भूतल में हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग शामिल हो सकें। ३० जनवरी को केन्द्रीय
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। [1] इस बार पिछली बार से अधिक स्टॉल हैं व हॉल नंबर १ से लेकर १२ए तक और १४ व १८ के अलावा काफी जगह हॉल के बाहर भी तैयार की गई है। मेले में लगभग ९० प्रतिशत अंग्रेजी की किताबें हैं। हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रकाशक हॉल नम्बर १२ए में ग्राहकों के लिये उपस्थित हैं। अनेक देशों की भारत स्थित शाखाओं ने तो मेले में अपने लिए जगह सुरक्षित कराई है, १५ अन्य देशों ने मेले में पाठकों के लिए पुस्तकों को प्रदर्शित किया है। दुनियाभर के प्रकाशकों की सैकड़ों नई किताबें यहां मिलेंगी, काफी संख्या में नई किताबों का विमोचन भी होगा। दिनाक ३१ जनवरी को प्रसिद्ध लेखक शिवमूर्ति के उपन्यास तर्पण का लोकार्पण विश्वनाथ त्रिपाठी ने किया।
[1] इसके लिए कैटलॉग भी बनाया गया है, ताकि बाद में भी उन पुस्तकों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सके और उसका लाभ उठाया जा सके। भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू पर अलग से पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं। इसके तहत नेहरू पर लिखी दुनियाभर की किताबों को शामिल किया गया है। मेले में एक बाल पवेलियन भी है, जिसमें अनेक गैर-लाभ संगठन ( एन.जी.ओ ) द्वारा बच्चों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने वाली गतिविधियां हो रही हैं। [1]
इस बार कई विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिनमें विशेष पवेलियन में विशेष पुस्तकों मिलेंगीं। युवा और बच्चों की विभिन्न गतिविधियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई, कई एनजीओज और स्कूलों के सहयोग से सुबह के समय बच्चों के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम करते हैं। अपराह्न् ३ से ५ बजे के बीच युवाओं के लिए कार्यक्रम होते हैं। इस दौरान खेल की प्रसिद्ध हस्तियां यहां आएंगी और युवाओं को प्रोत्साहित करेंगी। प्रकाशकों के लिए पुस्तक संबंधी कार्यक्रमों के आयोजन के लिए तीन मंच हैं। ये तीनों मंच भूतल में हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग शामिल हो सकें। ३० जनवरी को केन्द्रीय
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। [1] इस बार पिछली बार से अधिक स्टॉल हैं व हॉल नंबर १ से लेकर १२ए तक और १४ व १८ के अलावा काफी जगह हॉल के बाहर भी तैयार की गई है। मेले में लगभग ९० प्रतिशत अंग्रेजी की किताबें हैं। हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रकाशक हॉल नम्बर १२ए में ग्राहकों के लिये उपस्थित हैं। अनेक देशों की भारत स्थित शाखाओं ने तो मेले में अपने लिए जगह सुरक्षित कराई है, १५ अन्य देशों ने मेले में पाठकों के लिए पुस्तकों को प्रदर्शित किया है। दुनियाभर के प्रकाशकों की सैकड़ों नई किताबें यहां मिलेंगी, काफी संख्या में नई किताबों का विमोचन भी होगा। दिनाक ३१ जनवरी को प्रसिद्ध लेखक शिवमूर्ति के उपन्यास तर्पण का लोकार्पण विश्वनाथ त्रिपाठी ने किया।
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