Hindi, asked by sonuyadav62637072, 9 days ago

पृथ्वी पर जीवन कितने वsswf
र्ष पहले आरंभ हुआ था​

Attachments:

Answers

Answered by yashurajput881355
0

Answer:

please mark my answer as a brain list and follow plz

Explanation:

1. पृथ्वी पर जीवन की शुरूआत लगभग 4 अरब वर्ष पहले हुई थी।

2. उस समय के समुद्रों के पानी का संघटन आज के समुद्रों के पानी से बहुत भिन्न था।

3. शुरुआत में पृथ्वी के वातावरण में ऑक्सीजन नहीं थी, धीरे-धीरे ऑक्सीजन बनती गई और अंतत: वह वर्तमान स्तर तक पहुंची। ऑक्सीजन बनाने का काम हरे पौधे करते हैं जो प्रकाश संश्लेषण के दौरान वातावरण से कार्बन डाईऑक्साइड ले कर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। पृथ्वी पर सबसे पहले विकसित होने वाले हरे पौधे सायनोबैक्टीरिया नामक हरे शैवाल थे। अत: यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सबसे पहले बनने वाले जीव ऑक्सीजन की सहायता से श्वसन नहीं करते थे, अपितु अनॉक्सी श्वसन से काम चलाते थे। आजकल के अधिकांश जीवों को ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है।

निम्नानुसार तीन प्रकार की शक्तियां काम कर रही होंगी:

1. अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक पदार्थों का निर्माण पराबैंगनी किरणों या आसमानी बिजली की चिंगारियों से संभव हुआ होगा।

2. अंतरिक्ष से आने वाले उल्का पिण्डों के साथ जीवाणुओं का आना।

3. उल्का पिण्डों के लगातार गिरने से होने वाले धमाकों की ऊर्जा से कार्बनिक पदार्थों का संश्लेषण।

जीवन की उत्पत्ति के बारे में सबसे ताज़ा सिद्धांत अमेरिका की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशला से आया है। यहां कार्यरत प्रोफेसर माइकल रसल का तर्क है कि जीवन की शुरुआत समुद्र की गहराइयों में स्थित गरम पानी के फव्वारों में हुई। किस्सा यह है कि 1977 में प्रशांत महासागर में कार्यरत एक तैरती प्रयोगशाला ने पाया कि बहुत गहरे समुद्र के तल में दरारें हैं। इन दरारों में से निकलने वाले पानी का तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस होता है। इन दरारों को ऊष्णजलीय दरारें (हाइड्रोथर्मल वेन्ट्स) कहते हैं। पृथ्वी का तल कई प्लेटों से मिल कर बना है। ये प्लेटें खिसकती और एक-दूसरे से टकराती रहती हैं। जब दो प्लेटें टकराती हैं तब पृथ्वी की सतह हिलती है यानी भूकंप होता है। किंतु समुद्र की गहराइयों में दो प्लेटों के बीच स्थित ऊष्णजलीय दरारों में से रिस कर समुद्र का पानी अंदर जाता है। यहां उसका सामना पृथ्वी की गहराइयों में स्थित पिघली हुई चट्टानों (मैग्मा) से होता है। इनके मिलने से पानी का तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है किंतु वह उस गहराई में स्थित विशाल दाब के कारण भाप नहीं बन पाता और ऊपर की ओर उठता है। जब यह बहुत अधिक गरम और क्षारीय पानी बाहर आ कर गहरे समुद्र में स्थित बहुत अधिक ठंडे पानी से मिलता है तब कई खनिज पदार्थ अवक्षेपित हो जाते हैं और एक के ऊपर एक जमा हो कर मीनार के समान रचना बनाते हैं; समुद्र के पेंदे में इस प्रकार की सैकड़ों फीट ऊंची मीनारें बनी हुई हैं। सन 2000 में अटलांटिक महासागर के पेंदे पर ऐसी मीनारों का एक पूरे शहर के समान जमावड़ा पाया गया। जब इन मीनारों का और अधिक विस्तार से अध्ययन किया गया तब प्रोफेसर रसल को उनके सिद्धांत का आधार मिल गया। होता यह है कि खनिज पदार्थों की मीनारों में स्पंज के समान छिद्र होते हैं। इन छिद्रों में होने वाली रासायनिक क्रियाओं के कारण ऊर्जा बनने लगती है। प्रोफेसर रसल के अनुसार इन छिद्रों में स्थित अकार्बनिक पदार्थों में इस ऊर्जा के कारण कई प्रकार की रासायनिक क्रियाएं होने लगीं और इनसे पहला जीवित पदार्थ बना। इस जीवित पदार्थ के लिए ऊर्जा का स्रोत छिद्रों में ही उपलब्ध होने के कारण उनमें वृद्धि और प्रजनन होने लगे। आज भी समुद्र के पेंदे पर स्थित गरम पानी की इन मीनारों में ऐसे जीव पाए जाते हैं जो पृथ्वी की सतह पर और कहीं नहीं मिलते।

Similar questions