पौधों में गैसों का आदान प्रदान कैसे होता है
Answers
Answer:
पादपों में गैसों का आदान प्रदान पत्तियों पर पाये जाने वाले रन्ध्र छिद्रों द्वारा विसरण के माध्यम से होता है
Explanation
पादपों में गैसों का आदान प्रदान पत्तियों पर पाये जाने वाले रन्ध्र छिद्रों द्वारा विसरण के माध्यम से होता है।
ब्याख्या
पत्तियों की निचली सतह पर सूक्ष्म धिद्र होते हैं, जिन्हें रंध्र छिद्र (Stomatal pore) कहा जाता है। इन रंध्र छिद्रों (Stomatal pores) के द्वारा पत्तियाँ हवा से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करती हैं। पत्तियों में गैस का आदान प्रदान इन्हीं रंध्र छिद्रों (Stomatal pores) के द्वारा होता है। पेड़ पौधों में गैसों का आदान प्रदान इन रंध्र छिद्रों (Stomatal pores) के अलावे तने, जड़ तथा पत्तियों की सतह से भी होता है।
एक पत्ते का खुला हुआ रन्ध्र छिद्र
एक पत्ते का खुला हुआ रन्ध्र छिद्र
एक पत्ते का बंद रन्ध्र छिद्र
एक पत्ते का बंद रन्ध्र छिद्र
पौधों में गैस का आदान प्रदान रंध्र छिद्र के द्वारा होता है और अंतर्कोशिकीय अवकाश (Large inter cellular space) यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी कोशिकाएँ वायु के संपर्क में हों। यहाँ कार्बन डाइऑक्साइड तथा ऑक्सीजन का आदान प्रदान विसरण द्वारा होता है। ये कोशिकाओं में या उससे दूर बाहर वायु में जा सकती हैं।
विसरण की दिशा पर्यावरणीय अवस्थाओं तथा पौधों की आवश्यकता पर निर्भर करती है। रात्रि में, जब कोई प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं हो रही होती है तो कार्बन डाईऑक्साइड का निष्कासन ही मुख्य आदान प्रदान क्रिया होती है। दिन में, श्वसन के दौरान निकली कार्बन डाईऑक्साइड प्रकाशसंश्लेषण में प्रयुक्त हो जाती है अत: कोई कार्बन डाईऑक्साइड नहीं निकलती है। इस समय अर्थात, दिन में प्रकाश संश्लेषण में प्राप्त ऑक्सीजन का निकलना ही मुख्य है।
पत्ती में स्टोमेटा नामक छिद्र के माध्यम से ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान होता है।
Explanation:
- रंध्र पेड़ की पत्तियों और सुइयों के एपिडर्मिस की कोशिका संरचनाएं हैं जो पौधों और वातावरण के बीच कार्बन डाइऑक्साइड और पानी के आदान-प्रदान में शामिल होते हैं।
- वनस्पति विज्ञान में, एक रंध्र, जिसे रंध्र भी कहा जाता है, पत्तियों, तनों और अन्य अंगों के एपिडर्मिस में पाया जाने वाला एक छिद्र है जो गैस विनिमय की दर को नियंत्रित करता है।
- छिद्र विशेष पैरेन्काइमा कोशिकाओं की एक जोड़ी से घिरा होता है जिन्हें गार्ड कोशिकाओं के रूप में जाना जाता है जो रंध्र के उद्घाटन के आकार को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- स्टोमेटा प्रकाश संश्लेषण और श्वसन की प्रक्रिया में मदद करते हैं।
- रंध्र के मुख्य भाग छिद्र, रक्षक कोशिकाएँ, एपिडर्मल परत और सहायक कोशिकाएँ हैं।
- स्टोमेटा को एनोमोसाइटिक स्टोमेटा, एनिसोसाइटिक स्टोमेटा, परजीवी स्टोमेटा, डायसोसाइटिक स्टोमेटा, ग्रामीण स्टोमेटा में वर्गीकृत किया जा सकता है।