Hindi, asked by techsheikh786, 11 months ago

पेड़ लगाओ जीवन बचाओ पर एक विज्ञापन

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Answered by bhatiamona
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Answer:

                    पेड़ लगाओ जीवन बचाओ  

हे मनुष्य सुखी और लम्बा जीवन चाहते हो ,

वृक्ष लगाओ और अपने धरती को बचाओ |

घुटन भरी जिंदगी से छुटकारा पाओ, पेड़ लगाओ,

हमने यह ठाना है, घर-घर पेड़ लगाना है |

पेड़ों को बचाने के द्वारा अपने स्वस्थ पर्यावरण और हरी पृथ्वी को बचाने के लिये ये हम सभी के लिये बड़ा मौका है।

आज कल कभी नहीं आएगा हम सब को मिल के अभी से पर्यावरण सुरक्षित करने के लिए सहयोग देना होगा| हमें पेड़ो को कटने बचाना होगा और बहुत सारी मात्रा में पेड़ लगाने होंगे|  

Answered by nehaprakruti44
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Explanation:

प्रदेश को हरा भरा रखने के लिए सरकार मुफ्त में पौधे बांट रही हैं वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इन पेड़ों की बली देने से भी गुरेज नहीं कर रहे। शिक्षण संस्थान, कम्प्यूटर सेंटर, डाक्टरों व विभिन्न कंपनियों द्वारा प्रचार-प्रसार के लिए लगाए गए बोर्ड पेड़ों पर कील ठोक कर व लोहे की तारों से लगाए जा रहे हैं। कुछ समय बाद ही पेड़ सूखना शुरू हो जाएगा। निश्चित ही इससे हरियाली को खतरे में डाला जा रहा है।

लोगों का मानना है कि जब तक पब्लिसिटी नहीं होगी तब तक उन्हें मेहनत का फल नहीं मिलेगा। यही वजह है कि पब्लिसिटी के लिए लोगों ने पेड़ों को निशाना बना लिया है। सड़क किनारे पेड़ों की संख्या ज्यादा है इसलिए लोग इन पर होर्डिग बनवा कर लगा देते हैं। यही नहीं पेड़ में कील लगा दी जाती है या फिर लोहे की तार बांध दी जाती है। कील से ज्यादा लोहे की तार खतरनाक है। लगाने के कुछ दिन बाद तार पेड़ को कस कर जकड़ लेती है और पेड़ के फैलने पर तार अंदर घुस जाती है। इससे पेड़ सूख जाता है या फिर पौधे का विकास पूरी तरह से रुक जाता है। वैसे विज्ञापन देने के लिए नगर निगम व जिला प्रशासन द्वारा शहर में कई जगहों पर स्थान निश्चित किए हुए हैं। मात्र कुछ किराया देने पर इन स्टैंड पर विज्ञापन के लिए होर्डिग लगाने की मंजूरी मिल जाती है। शायद यही वजह है कि किराये को बचाने के लिए लोगों ने पेड़ों पर होर्डिग लगाने शुरू कर दिए हैं। ये होर्डिग कोई नासमझ द्वारा नहीं बल्कि समझदार लोगों द्वारा द्वारा भी लगाए जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं शिक्षण संस्थानों की। एक तरफ वन महोत्सव व अन्य कार्यक्रमों में लोगों से पेड़ बचाने की अपील शिक्षक करते हैं तो दूसरी तरफ वे खुद पेड़ों की बली लेते हैं। शायद यह सब दिखावे के लिए होता है तभी तो उन पर अमल नहीं किया जाता। वन विभाग, नगर निगम भी ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने से इतराता है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति पकड़ा गया हो जिसके खिलाफ दोनों महकमों ने कार्रवाई करने की जहमत उठाई हो।

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