Hindi, asked by aditya2511, 1 year ago

पेयजल की समस्या के विषय में अनुच्छेद 100शब्दों में लिखिए

Answers

Answered by Priatouri
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पूरे विश्व में पीने के पानी की बहुत समस्या है किंतु भारत में यह बहुत गंभीर समस्या के रूप में उभर चुकी है I लोग गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हो चुके हैं, जिसके कारण वह बीमारियों से जूझ रहे हैं I गंदा पानी पीने के कारण उनकी मृत्यु भी हो रही है I लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं I पीने के पानी की कमी के कारण आज के समय में पानी की कीमत बहुत बढ़ गई है I गरीब लोगों के पास इतना पैसा नहीं है कि वह फिल्टर लगवा सकें और इसी वजह से वे गंदे पानी से ही ही अपना गुजारा कर रहे हैं I

Answered by jasvindarsinghkuttan
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Explanation:

आज पूरे विश्व में पेयजल की कमी का संकट मँडरा रहा है। कहीं यह गिरते भू-जल स्तर के रूप में है तो कहीं नदियों के प्रदूषित पानी के रूप में और कहीं तो सूखते, सिमटते तालाब और झील के रूप में। इसका कारण है, इन स्रोतों से पानी का भारी दोहन किया जाना। पानी के संरक्षित रखने के दर्शन को तो त्याग ही दिया गया है। पूरे विश्व के यूरोप के प्रभाव में आने के बाद से एक ही दर्शन सामने आया कि प्रकृति में जो भी चीजें उपलब्ध हैं उनका सिर्फ दोहन करो। इस दर्शन में संयम का कोई स्थान नहीं है।

आज समूचे यूरोप के 60 प्रतिशत औद्योगिक और शहरी केन्द्र भू-जल के गंभीर संकट की सीमा तक पहुँच गए हैं। पेयजल की गंभीर स्थिति का सामना नेपाल,फिलीपींस, थाइलैण्ड,आस्ट्रेलिया, फिजी और सामोआ जैसे देश भी कर रहे हैं।पेयजल संकट पर गिद्ध नजर पड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की और इन्होंने प्यास की कीमत भुनाना शुरू कर दिया। मीडिया और अन्य प्रचार माध्यमों द्वारा पानी के निजीकरण की बात उठाई जाने लगी, ताकि बड़े से बड़ा पानी का बाजार खड़ा किया जा सके। लेकिन यह समझना बुद्धि से परे लगता है कि सूखते जल स्रोतों का समाधान निजीकरण में कैसे हो सकता है? कहीं कोई उदाहरण नहीं मिलता कि कम्पनियाँ पेयजल स्रोतों को जीवित करने का काम कर रही हैं या बर्बाद होते पेयजल को संरक्षित करने का प्रयास कर रही है।

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