Hindi, asked by hindicompo, 1 year ago

Pahadi Sthan ka Yatra composition

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Answered by victory1venkatesh
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ग्रीष्मावकाश होते ही विद्यालय की ओर से पहाड़ी स्थल की यात्रा का कार्यक्रम बनाया गया । छुट्‌टियाँ होने से पूर्व ही पैसे जमा करा दिए गए । बस और भोजन का प्रबन्ध भी विद्यालय ने अपने ऊपर ले लिया ।

भ्रमण का कार्यक्रम 15 दिन का था । पहाड़ी स्थल की यात्रा के लिए हिमाचल प्रदेश को चुना गया । सभी वहाँ जाने के लिए आतुर और उत्सुक थे । हिमाचल प्रदेश पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है । हिमाचल प्रदेश में ‘लाल टीन की छत’ वाले सुन्दर घर, चीड़ और देवदार के घने हरे भरे जंगल, कल-कल बहती नदियाँ, रंग-बिरंगे फूलों से भरी क्यारियाँ, सीढ़ीनुमा खेत, घुमावदार रास्ते, बर्फ से ढकी चोटियाँ ऐसी लगती हैं कि मानों हमें अपनी ओर बुला रही हैं ।

शिमला में महाराजा पटियाला का महल है जो होटल में बदल दिया गया है । वहीं पर विश्व का सबसे ऊँचा क्रिकेट मैदान है । शिमला से कुछ दूरी पर भारत का सबसे प्राचीन गोल्फ का छिद्रवाला मैदान है । हिमाचल की यात्रा करते हुए हम कुल्लु-मनाली भी गए ।

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लोग इसे धरती का स्वर्ग कहते हैं । कुल्लु और मनाली को व्यास नदी अपनी कलकल ध्वनि का ऐसा सौन्दर्य देती है जिसे सुनकर ऐसा लगता है कि मानों हम स्वर्ग में पहुँच गए हैं । कुछ दुरी पर सुन्दर नगर हैं, जहाँ पहाड़ को काटकर झील बनाई है, जिसका सौन्दर्य मन्त्र-मुग्ध करता है ।

नगर में रूसी कलाकार रोरिक की आर्ट गैलरी है । मनाली में भीम की पत्नी घटोत्कच की माँ हिडिम्बा का मन्दिर है, जो घने देवदार के पेड़ों के बीच खड़ा अपनी सुन्दरता की कहानी स्वयं कहता है । वहाँ जाकर हम बर्फ के गोलों से भी खेले ।

किन्नर प्रदेश की कल्पना का मूर्त रूप देखने के लिए किन्नौर के नगर कल्पा रिकांगयिओ गए । वहाँ की सभ्यता और संस्कृति, हरे-भरे खेत, बर्फीले पहाड़, सेब के बगीचे, सुंदर स्त्रियाँ और कन्याओं की मन्त्र-मुग्ध मुस्कान और प्राचीन काल में लेखन के काम आने वाला भोजपत्र भी यहीं देखने को मिला ।

हिमाचल प्रदेश में लार्ड डलहौजी के नाम पर बना एक पर्यटन स्थल अपने नैसार्गिक सौन्दर्य के लिए विश्व विख्यात है । वहाँ पर बहती हुई व्यास, रावी, चिनाब की नदियाँ, गगनचुम्बी देवदार और चिड़ के वृक्ष और हरे-भरे जंगल पर्यटकों को अपनी ओर आकृष्ट करत हैं । हमने वहाँ खजियार झील का आनन्द लिया । डाक बंगले में रुक कर चीते, तेंदुए, कस्तुरी मृग आदि को देखकर रोमांचित हुए ।

वहीं चंबा में विशाल और प्राचीन मन्दिर हैं । दसवीं सदी के राजा साहिल वर्मा की पुत्री चंपावती के नाम पर इस नगर का नाम चंबा पड़ा । पहले यह चंपावती के नाम से जाना जाता था । पर्यटन स्थल पर यात्रियों स्थल पर यात्रियों के रुकने और खाने की व्यवस्था ‘हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम’ करता है और यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था तथा हर प्रकार की सहायता भी करता है ।

सम्पूर्ण हिमाचल प्रदेश ही स्वर्ग जैसा है । वहाँ का अनछुआ सौन्दर्य देवों की नगरी सा लगता है । ऐसे देवलोक की यात्रा करके मुझे ऐसा लगा कि यदि स्वर्ग कहीं है तो यहीं है और कहीं नहीं । जिसने इस स्वर्ग रूपी हिमाचल प्रदेश की यात्रा नहीं की उसका जीवन ही व्यर्थ है ।

Thanks to essaysinhindi

Answered by amanthakurs
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