Science, asked by PragyaTbia, 10 months ago

परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?

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Answered by GauravSaxena01
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परागण:- पुंकेसर के परागकोष से पराग कणों का उसी पुष्प के या दूसरे पौधों के किसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर जाना परागकण कहलाता है। पौधों में लैंगिक जनन के लिए परागकण एक अनिवार्य किया है पादप में दो प्रकार के बराबर होता है।
१. स्वपरागण एवं
२. पर परागण

१. स्वपरागण:- जब एक ही पुष्प के परागकण उसी पुष्प के या उसी पौधे के दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित होते हैं तो उसे स्वपरागण कहते हैं। इस परागण के लिए पौधों का‌ Bisexual होना आवश्यक है होना आवश्यक है।

२. पर परागण :- जब परागण किसी दूसरे पौधे पर स्थित पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित हो तो इस परागकण को पर परागण कहते हैं।पर परागण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है जो पराग कणों को एक पौधे से दूसरे पौधों तक पहुंचा सके।

निषेचन:- परागण की क्रिया के बाद वर्तिकाग्र पर पहुंचे परागकणों का अंकुरण होता है जिसके फलस्वरूप नर युग्मक परागनलिका की सहायता से मादा युग्मक तक पहुंचता है इसके बाद नर तथा मादा युग्मक बीजांड के अंदर भ्रूणकोष में संलयित होकर युग्मनज बनाते हैं‌, नर और मादा युग्मको‌ के संलयन को ही निषेचन कहते हैं।

निषेचन के चरण:-
१. परागकणों का अंकुरण
२. पराग नलिका का पथ
३. भ्रूण कोष में का परागनलिका‌ में प्रवेश
४. नर युग्मको का स्वतंत्र होना।
५. नर तथा मादा युग्मक का संयोजन
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@GautavSaxena01


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