Science, asked by chennavani83, 1 year ago

परीक्षण में ध्यान रखने योग्य बातों का विस्तार से उल्लेख करें।

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Answered by bhoumiksingh
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Answer:

ध्यान या अवधान चेतन मन की एक प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति अपनी चेतना बाह्य जगत् के किसी चुने हुए दायरे अथवा स्थलविशेष पर केंद्रित करता है। यह अंग्रेजी "अटेंशन" के पर्याय रूप में प्रचलित है। हिंदी में इसके साथ "देना", "हटाना", "रखना" आदि सकर्मक क्रियाओं का प्रयोग, इसमें व्यक्तिगत प्रयत्न की अनिवार्यता सिद्ध करता है। ध्यान द्वारा हम चुने हुए विषय की स्पष्टता एवं तद्रूपता सहित मानसिक धरातल पर लाते हैं।

योगसम्मत ध्यान से इस सामान्य ध्यान में बड़ा अंतर है। पहला दीर्घकालिक अभ्यास की शक्ति के उपयोग द्वारा आध्यात्मिक लक्ष्य की ओर प्रेरित होता है, जबकि दूसरे का लक्ष्य भौतिक होता है और साधारण दैनंदिनी शक्ति ही एतदर्थ काम आती है। संपूर्णानंद आदि कुछ भारतीय विद्वान् योगसम्मत ध्यान को सामान्य ध्यान की ही एक चरम विकसित अवस्था मानते हैं।

परिचय संपादित करें

किसी भी मनुष्य का सभी बाहरी कार्यों से विरक्त होकर किसी एक कार्य में लीन हो जाना ही ध्यान है। आशय यह है कि किसी एक कार्य में किसी का इतना लिप्त होना कि उसे समय,मौसम,एवं अनय शारीरिक जरूरतों का बोध न रहे इसे ही ध्यान कहते हैं।

ध्यान तीन प्रकार के स्वभावोंवाला होता है-

(क) सहज (यथा धमाके की आवाज पर)

(ख) बलात्- (यथा, नक्शे में ढूँढने की स्थिति में),

(ग) अर्जित (यथा, ताजे अखबार के शीर्षकों में)।

ध्यान का एक फैलाव क्षेत्र (स्पैन) होता है। एक सीमित समय में कुछ गिनती की वस्तुओं में ही थोड़ी-थोड़ी देर पर ध्यान चक्कर काटता रहता है। उदाहरण के लिए, कमरे में दो तीन मित्र बातें करते हों तो उनके अलग अलग चेहरे, बात का विषय, कमरे की दीवाल या कैलेंडर, मेजपोश या पेपरवेट आदि ही कुछ वस्तुएँ हैं जो हमारे ध्यान के फैलाव क्षेत्र में उस समय हैं। कमरे का बाहरी वातावरण उस क्षेत्र से बाहर है।

सबसे पहले इस विषय पर लिखते हुए दार्शनिक लेखक वोल्फ (1754) ने ध्यान को विशिष्ट मानस गुण (मेंटल फैकल्टी) माना। विलियम जेम्स (1842-1910) ने इसकी प्रथम सुसंबद्ध वैज्ञानिक व्याख्या इसे "चेतनाप्रवाह" की गति का आयामविशेष मानते हुए की। रिब्बो (1839-1916) ने ध्यान को पूर्वानुप्रेरित क्रिया (ऐंटिसिपेटरी बिहेवियर) कहा। टिचनर (1867-1927) ने अपेक्षाकृत अधिक वैज्ञानिक स्पष्टता के साथ बताया कि ध्येय विषय चेतना द्वारा प्रसीमित क्षेत्र (फोकस) में आते हैं और अन्य वस्तुएँ इसके इर्द-गिर्द हाशिये (मार्जिन) पर होती हैं। यों ध्यान हमारी चेतना का लक्ष्य बिंदु बनाता है। हाशियों पर ध्यान क्रमश: निस्तेज होता हुआ विलुप्त होता रहता है।

कोफ्का, कोहलर तथा वर्थाइमर ने इस सदी के दूसरे दशक में मनोविज्ञान के गेस्टाल्ट संप्रदाय की स्थापना करके आंतरिक सूझबूझ तथा बिखरी वस्तुओं में सावयवताबोध को विशेष महत्व दिया (1912)। इनके अनुसार ध्यान की प्रक्रिया में पूरी वस्तु को अलग-अलग परिप्रेक्ष्य द्वारा बदले जाने पर उसकी अलग-अलग सावयवता दिखाई देती है। शतरंज की पाटी को देर तक देखें, तो कभी काले खाने एक वर्ग में होकर सफेद को पृष्ठभूमि बनाते हैं और कभी-कभी सफेद ही आगे आकर काले खानों को पीछे ढकेल देते हैं। तीन सीधी रेखाओं में बीच की एक सर्वाधिक बड़ी रेखा पूरे चित्र में ही कार्निस की शक्ल में आगे की ओर निकले होने का बोध देती है। मुड़े हुए आयताकार वस्तु का ज्यामितिक चित्र हमारे ध्यान को उसके भीतर एवं बाहर की ओर मुड़े होने का बारी बारी से बोध कराता है। यों हमारे ध्यानाकर्षण की क्रिया में भी चेतना का प्रक्षेपण होता है।

कैटेल निर्मित टैचिस्टोकोप में विभिन्न संख्या में छपे स्पष्ट बिंदुओं के कार्ड थोड़ी देर में उजागर कर छिपा लिए जाते हैं और देखनेवालों से ठीक संख्या पूछी जाती है। न्यूनतम संख्या ध्यान के लिए अधिक स्पष्ट सिद्ध होती हैं क्योंकि 4 की संख्या ऐसी थी जिसे शत प्रतिशत लोगों ने ठीक बताया। अददों का कम होना ध्यान की स्पष्टता की एक शर्त है।

ध्यान के संबंध में बहुत सी प्रायोगिक परीक्षाएँ भी हुई हैं- जेवंस तथा हैमिल्टन द्वारा ध्येय और ध्येता के बीच की दूरी (रेंज ऑव एटेंशन) का माप, विटेनबोर्न द्वारा फैक्टर विश्लेषण की आँकड़ा शास्त्रीय पद्धति पर विशेष परिस्थित क्रम में अंकों के समानुवर्तन के साथ ध्यान प्रक्रिया की सहमति; मौर्गन तथा फोर्ड द्वारा आकस्मिक हरकतों, दोलनों अथवा चेष्टाओं से ध्यान का संबंधनिरूपण और इसी प्रकार वस्तुओं के नए एवं पुराने; तीव्र और मंद आदि गुणों में प्रथम से ही ध्यान का सांप्रतिक संबंध; ध्यान में मांसपेशियों के सापेक्ष आकुंचन की मात्रा आदि। ध्यानराहित्य (इनैटेंशन) तथा अन्यमनस्कता ध्यान के अभाव नहीं हैं बल्कि ये ध्यान के अपेक्षित वस्तु पर न लगाकर उसके कहीं और लगे होने के सूचक हैं। हैमिल्टन ने अमूर्त विचार या चिंतन (एब्सट्रैक्शन) को ध्यान का ही पूरक किंतु एक प्रकार का निषेधात्मक पक्ष माना है।

Answered by r5134497
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विज्ञान के परीक्षण में ध्यान रखने योग्य बातों

स्पष्टीकरण:

परीक्षण में ध्यान रखने योग्य है:

  • अनुसंधान -किसी भी जांच में पहला कदम अपने विषय पर शोध करना है। यह विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है।आप जो प्रयोग करने की कोशिश कर रहे हैं, वह आपके द्वारा पहले किए गए या रोजमर्रा के जीवन में देखी गई किसी चीज़ के परिणामस्वरूप हो सकता है।

  • समस्या-अब आपको अपने शोध को एक, आसानी से परीक्षण योग्य, समस्या में सीमित करने की कोशिश करनी चाहिए। उदाहरण के लिए, आप यह पता लगाने का निर्णय ले सकते हैं कि क्या ढालना उच्च तापमान पर जल्दी बढ़ता है। एक समय में एक चीज का परीक्षण करना बहुत आसान है। यदि आप विभिन्न प्रकार की रोटी या अलग-अलग प्रकाश की मात्रा के साथ ढालना विकास का परीक्षण करना चाहते थे, तो यह जटिल हो जाता है। वैज्ञानिक तरीका यह है कि किसी एक चीज का परीक्षण करें और परिणाम प्राप्त करें। एक बार जब आपके पास इस प्रयोग के परिणाम होंगे, तो आप हमेशा अन्य चर का परीक्षण कर सकते हैं।

  • परिकल्पना -यह वह जगह है जहां हम वास्तव में जाने लगते हैं। एक परिकल्पना इस तथ्य का एक बयान है कि आप इसे साबित कर रहे हैं या इसे नापसंद कर रहे हैं।

प्रयोग -तीन महत्वपूर्ण चर हैं जो आपको याद रखने होंगे कि आप अपना प्रयोग कब कर रहे हैं।

  1. स्वतंत्र चर - यह वह है जो आप परिणाम प्रदान करने के लिए बदलते हैं। मोल्ड ब्रेड प्रयोग के मामले में, यह तापमान है। कागज तौलिया प्रयोग के मामले में, यह ब्रांड है।
  2. नियंत्रित चर - ये ऐसी चीजें हैं जो कभी नहीं बदलती हैं।
  3. आश्रित चर - यह वह है जिसे आप माप रहे हैं, तौलिया कितना पानी सोखता है या टुकड़ा पर कितना ढालना बढ़ता है।

यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आप बैचों में प्रयोग करें। एक परिणाम हमेशा एक दुर्घटना हो सकती है लेकिन अगर आपके पास एक ही परिस्थितियों में प्रत्येक परीक्षण के लिए 3 या अधिक नमूने हैं तो आप अपने परिणामों के लिए औसत या औसत ले सकते हैं।

  • परिणाम -यहां वह जगह है जहां आप अपने परिणाम दिखाते हैं और पूरी दुनिया को बताते हैं कि प्रयोग के अंत में आपको क्या मिला। आपको अपनी सभी गणनाओं को दिखाने की आवश्यकता नहीं है; अधिकांश लोग जानते हैं कि कैसे एक मतलब लेना है, लेकिन आपको यह स्पष्ट करना चाहिए कि आपने एक मतलब का उपयोग किया है।  इस खंड में वर्णन करें कि आपने क्या पाया। ग्राफ़ और टेबल आपके निष्कर्षों को प्रस्तुत करने के अच्छे तरीके हैं। अन्य वैज्ञानिकों को पाठ के विशाल ब्लॉकों की तुलना में आरेखों को देखकर अपने डेटा का अध्ययन करना बहुत आसान लगता है।

  • विचार विमर्श और निष्कर्ष-चर्चा में, आप आकलन करते हैं कि परिणाम किस प्रकार परिकल्पना का उत्तर देते हैं और क्षेत्र में मौजूदा ज्ञान के लिए इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा करते हैं। निष्कर्ष लिखते समय, आपको अपनी परिकल्पना का जवाब देने की कोशिश करनी चाहिए, जितना संभव हो सके। आपने अपनी चर्चा में इनमें से कुछ का जवाब पहले ही दे दिया होगा, लेकिन अहम यह है कि कुछ सवालों को छोड़ दिया जाए, जो दूसरे को अपने शोध प्रोजेक्ट के लिए विस्तारित कर सकें।
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