परामर्श से आप क्या समझते हैं? एक प्रभावी परामर्शदाता की विशेषताओं का वर्णन कीजिए I
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कार्ल रोजर्स ने परामर्श को आत्मबोध की प्रक्रिया में सहायक बताते हुये लिखा है कि-’परामर्श एक निर्धारित रूप से स्वीकृत ऐसा सम्बन्ध है जो परामर्श प्राथ्री को, स्वयं को समझने में पर्याप्त सहायता देता है जिससे वह अपने नवीन जीवन के प्रकाशन हेतु निर्णय ले सकें।
हैरमिन के अनुसार- परामर्श मनोपचारात्मक सम्बन्ध है जिसमें एक प्राथ्री एक सलाहकार से प्रत्यक्ष सहायता प्राप्त करता है या नकारात्मक भावनाओं को कम करने का अवसर और व्यक्तित्व में सकारात्मक वृद्धि के लिये मार्ग प्रशस्त होता है।
मायर्स ने लिखा है- परामर्श से अभिप्राय दो व्यक्तियों के बीच सम्बन्ध है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को एक विशेष प्रकार की सहायता करता है।
विलि एवं एण्ड्र ने कहा कि परामर्श पारस्परिक रूप से सीखने की प्रक्रिया है। इसमें दो व्यक्ति सम्मिलित होते है सहायता प्राप्त करने वाला और दूसरा प्रशिक्षित व्यक्ति जो प्रथम व्यक्ति की सहायता इस प्रकार करता है कि उसका अधिकतम विकास हो सकें।
काम्बस ने परामर्श को पूरी तरह से परामर्श प्रार्थी केन्द्रित माना है।
ब्रीवर ने परामर्श को बातचीत करना, विचार-विमर्ष करना तथा मित्रतापूर्वक वार्तालाप करना बताया है। वही जोन्स के अनुसार परामर्श प्रक्रिया में समस्त तत्वों को एकत्रित किया जाता है जिसमें छात्रों के समस्त अनुभवों का अध्ययन किया जाता है। छात्रों की योग्यताओं को एक विशेष परिस्थिति के अनुसार देखा जाता है
इरिक्सन ने लिखा कि - ’परामर्श साक्षात्कार व्यक्ति से व्यक्ति का सम्बन्ध है जिसमें एक व्यक्ति अपनी समस्याओं तथा आवश्यकताओं के साथ दूसरे व्यक्ति के पास सहायतार्थ जाता है।
स्ट्रैगं के अनुसार -’’परामर्श प्रक्रिया एक सम्मिलित प
"परामर्श दो व्यक्तियों के बीच संप्रेषण का एक व्यवहार है, जिसमें एक व्यक्ति विशेषज्ञता लिए होता है जो परामर्शदाता कहलाता है। वो सेवार्थी अर्थात दूसरे व्यक्ति के विचार, भावनाओं, दृष्टिकोण, व्यक्तिगत कौशल एवं योग्यता के आधार पर मार्गदर्शन करता है जिससे कि दूसरा व्यक्ति सकारात्मक रूप से अपना विकास कर सके या अपनी समस्या का समाधान पा सकें।
एक प्रभावी परामर्शदाता का उत्तर दायित्व बनता है कि वह सेवार्थी अर्थात परामर्श प्राप्त करने वाले व्यक्ति के उद्देश्यों की पूर्ति करता हो। उसके द्वारा दिए गए परामर्श से व्यक्ति को अधिकतम लाभ प्राप्त हो। एक सफल एवं प्रभावी परामर्श के लिये परामर्शदाता की योग्यता, उसके व्यवहार, अभिवृत्ति एवं उसके व्यक्तिगत गुणों एवं कौशल पर निर्भर करती है।
एक प्रभावी परामर्शदाता के गुण निम्नलिखित होने चाहिए।
(1) प्रामाणिकता-एक प्रभावी परामर्शदाता को सेवार्थी की समस्या की प्रकृति एवं स्रोत को पहचानना आना चाहिये। वो सेवार्थी के नकारात्मक भावों की खोज कर सके ताकि उन्हें सकारात्मक दृष्टिकोण में परिवर्तित कर प्रोत्साहित कर सके।
व्यवहारपरक-परामर्शदाता को अपने व्यवहार की अभिव्यक्ति के प्रति सुनिश्चित होना चाहिए। सेवार्थी को तब तक अपनी अनुक्रिया ना दे, जब तक उसकी बात को पूरी तरह समझ ना जाए। उसे सेवार्थी को पूर्ण अवसर देना चाहिए कि वह अपनी बात को जैसा वह महसूस करता है उस ढंग से कह सके।
तदनुभूति-यह एक ऐसा कौशल है जिसमें सेवार्थी की भावना को उसके परिप्रेक्ष्य में ही समझा जा सकता है। उदाहरण किसी की समस्या की पीड़ और भावना को तभी समझ सकते हैं, जब ऐसा महसूस करें वह स्थिति हम पर ही गुजर रही है।
प्रत्युत्तर-इस प्रक्रिया में परामर्शदाता सेवार्थी की समस्या की प्रकृति को समझ कर उसके समाधान के प्रारूप को तैयार कर चुका होता है। ऐसे में उसे अपनी योग्यता का परिचय देते हुए सही शब्दों का चुनाव कर अपने विचार एव्ं संभावनाएं प्रस्तुत करनी होती है।
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